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सफलता की सीढ़ी… लापरवाही हार के पीछे का सबब
लापरवाही! किसी जंग, प्रतियोगिता, परीक्षा या कार्यक्षेत्र में असफल होने के कारणों की नकारात्मक परिभाषा है। कुछ उदाहरणों को छोड़कर लापरवाही व्यक्ति के जीवन में, उसके सहकर्मियों, परिजनों के बीच साख धूमिल करती आई है। प्रत्येक व्यक्ति इस बात से सहमत होगा कि उसकी लापरवाही से उसके जीवन में कभी ना कभी भारी नुकसान उठाना पड़ा होगा। सफलता की सीढ़ी आज लापरवाही जैसे विषय पर चर्चा करने जा रही है जो आपके और सफलता के बीच की रुकावट बनती आई है। लापरवाही आप में छुपे प्रतियोगी को हतोत्साहित करने की शक्ति रखती है। जो व्यक्ति की लक्ष्य प्राप्ति की राह और संघर्षमय बना देती है, आपका कठोर परिश्रम, लगन, अदम्य निष्ठा और सकारात्मक प्रयास भी वांछित परिणाम देने में असफल रहते हैं जिससे आपका हर मुमकिन प्रयास सफलता में परिवर्तित नहीं हो पाता।
नौकरी पेशा व्यक्तियों ने अपने वृत्तांत में लापरवाही को अपने कार्य क्षेत्र में विफल होने का जिम्मेदार माना, उन्होंने स्वीकारा कि उनकी लापरवाही के चलते उन्हें सहकर्मियों व आला अधिकारियों के बीच अपना आत्म सम्मान खोना पड़ा, उनकी लापरवाही की पुनरावृति के कारण अपनी नौकरी भी गंवानी पड़ी। नए कार्य क्षेत्र में भी उन्हें यही चिंता व डर सताए जाता है कि वह वैसी ही लापरवाही फिर से ना दोहरा दें। प्रतियोगियों की तैयारी और उनके जीवन संघर्ष के दौरान लापरवाही के कई दुष्प्रभावी प्रसंग सामने आते हैं जिन्होंने उनके जीवन को ही उलट कर रख दिया। ऐसा ही एक प्रसंग मुझे याद आता है, मेरा एक मित्र प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहा था, वह बहुत मेहनती था और उसकी तैयारी भी अच्छी थी। उसका प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ, उस वक्त साइबर कैफे पर जाकर परिणाम देखा करते थे। हम दोनों उसका परिणाम देखने गए। उसका सिलेक्शन 0.18 नंबर से नहीं हुआ था, उसके लिए उसकी लापरवाही एक बड़े सदमे के रूप में आई, एक प्रश्न में की गई लापरवाही और सेलेक्ट ना हो पाने की आत्मग्लानि उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। उसके पश्चात काफी समय तक आर.ए.एस. की परीक्षा नहीं हुई और उसे प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना छोडऩा पड़ा क्योंकि उसकी पारिवारिक परिस्थिति उसके अनुकूल नहीं थी। कुछ समय पहले मुझे उससे मिलने का मौका मिला और प्रशासनिक सेवा में ना जा पाने की उसकी टीस आज भी उसके मन में है और उससे ज्यादा वह एक प्रश्न की लापरवाही जो उसके अनुसार उसे आज भी सोने नहीं देती। यह बात बहुत गौण लगती है इस तथ्य से कि, भारत में ‘मेडिकल नेगलीजिंसÓ अर्थात ‘चिकित्सकीय लापरवाहीÓ से होने वाली मृत्यु का साल में हुई कुल मृत्यु का काफी बड़ा प्रतिशत है। यह एक बेहद गंभीर विषय है। जब लापरवाही से होने वाली मृत्यु दर इतनी अधिक है। विश्वशक्ति अमेरिका, जो विभिन्न पहलुओं पर े विश्व की अगुवाई करता है और जिस देश में चिकित्सीय व्यवस्था सर्वोत्तम है, उस देश में वर्ष भर होने वाली कुल मौतों में से अधिक मौतें ‘मेडीकल नेगलिजेन्सीÓ से होती हैं।
आज इस वैश्विक महामारी के संदर्भ में ही लापरवाही को समझें तो चीन जैसा विकसित देश जो वैश्विक मायनों में उत्पादन के केन्द्र रूप में पिछले दो दशकों से अपना लोहा मनवा रहा है, ने कोरोना जैसी महामारी की जानकारी डब्ल्यूएचओ और विश्व को 15 दिन देरी से बताने की जो लापरवाही की जिसका परिणाम आज हमारे सामने है। विश्व में कोविड-19 से संक्रमित देशों की संख्या बढ़कर 187 हो गई है। वहीं अमेरिका इस वायरस और इसकी भयावहता से अनभिज्ञ नहीं था। अमेरिका की खुफिया एजेंसी व सुरक्षा एजेंसी ने इस महामारी की आशंका पहले ही जता दी थी परन्तु सरकार की लापरवाही का परिणाम अब तक हुई 30 हजार से भी अधिक मौतें जो कि दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। सफलता की सीढ़ी आपको डराना नहीं चाह रही है परन्तु आज आपको लापरवाही जैसे कारणों से होने वाली हानि से रूबरू कराना चाहती है। लापरवाही वह दीमक है जिसका समय रहते उपचार नहीं किया जाए तो वह हमारे जीवन को खोखला कर देती है। अर्थात हमारे व्यक्तित्व का सिर्फ ढांचा रह जाता है, व्यक्ति के गुण खत्म हो जाते हैं। लापरवाही आपको संक्रमित करने के पश्चात कुछ समय तक आपको चिंतित करेगी, आप स्वत: बैचेन होने लगेंगे फिर धीरे-धीरे यह आपकी कार्यप्रणाली व आपके जीवन में घुल जाएगी। आप छटपटाएंगे, विवश होंगे परन्तु आप इससे छुटकारा नहीं पा पाएंगे। जिसका आप अपने जीवन में नकारात्मक, चिड़चिड़ापन, अकेलापन, गुस्सा, आशंका जैसे लक्षण को उभरता हुआ पाएंगे, जो आपके भीतर के अदम्य साहस, कठोर परिश्रम तथा सशक्त चरित्र जैसे पहलू को अचेत करने की शक्ति से सुसज्जित आपकी विफलता की कहानी लिखने लगेगी। सफलता आपको बस छूकर निकल जाएगी। यह लापरवाही आपको आपके लक्ष्य से भटका देगी। आप सफलता के सिद्धांतों की पालना नहीं कर पाएंगे या अपने लक्ष्य को साधने में बेशकीमती समय व्यर्थ कर देंगे। आप शुरूआत में ही पिछड़ जाएंगे और आपके प्रतियोगी आगे निकल जाएंगे और पूरा समय आप समय व दूसरे प्रतियोगियों का पीछा करने में व्यर्थ कर देंगे। हड़बड़ाहट में आपका आत्मअनुशासन पर ध्यान नहीं रहेगा जिसके फलस्वरूप आप अपने लक्ष्य की ओर एकाग्र नहीं रह पाएंगे। लापरवाही का दुष्प्रभाव सबसे अधिक समय प्रबंधन पर पड़ता है। बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उस लक्ष्य को छोटे-छोटे लक्ष्य में विभाजित करके ही हम अपने मूल लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। लापरवाही व्यक्ति/प्रतियोगी को समय सीमा में बंधने से रोकती है, लापरवाह व्यक्ति के लिए समय सदैव कम होता है। वह सदैव कम समय की दुहाई देता है। वह लापरवाही को छुपाने के लिए अलग-अलग कारण और अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए इन कारणों को ढाल बना स्वयं को ढांढस देता है परन्तु सत्य तो यह है कि, लापरवाही व्यक्ति को समय के महत्व के बोध को शून्य कर देता है और आपका मन और मस्तिष्क लक्ष्य प्राप्ति के उद्देश्य से दूर होकर कोई आसान विकल्प ढूंढऩे लगता है। लापरवाही के चलते आप कार्य पूर्ण करने में तथा समय पर लक्ष्य प्राप्त करने में असफल होते हैं जिससे आपका मनोबल टूटने लगता है, आप अपने निर्णय पर अडिग नहीं रहते, अपने कार्य को उचित समय और यथार्थता से पूर्ण करने में स्वयं के सामथ्र्य पर स्वयं प्रश्न करने लगते हैं जिससे अपनी निर्णय शक्ति खोने लगते हैं। अपने निर्णय के सही या गलत होने की संभावना का प्रभाव बोध शून्य हो जाता है। आप अपने जीवन में लिए फैसलों के प्रभाव या दुष्प्रभाव और नतीजों के बोध के लिए किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर होने लगते हैं। इन निर्णयों के आत्मनिर्भरता की कमी आपके जिम्मेदारी बोध को शनै: शनै: कम करने लगती है और यदि जीवन में लापरवाही की एक दो घटनाएं हो जाएं तो व्यक्ति निर्णय लेने की जिम्मेदारी से भागने लगता है क्योंकि उसके अपने निर्णय लेने के साहस में कमी आ जाती है और सफलता के अति महत्वपूर्ण सिद्धांत जोखिम उठाने से आप कतराने लगते हो और आप वह रास्ता चुनते हो जो विश्व के 95 प्रतिशत लोग चुनते हैं। आप भी उस समूह का भाग हो जाते हो जो बड़े सपने देखने और उसके जोखिम को उठाने से डरते हैं। जो मिला उसी में संतुष्ट होने की कला में महारथ हासिल करने लगते हैं। वहीं शेष 5 प्रतिशत लोगों की सूची में वे आते हैं जिन्हें स्वयं पर आत्मविश्वास है, सफलता के सिद्धांतों को घोटकर पी चुके हैं, लापरवाही के परिणामों को बखूबी जानते हैं, अपने निर्णयों का अवलंब कर जोखिम उठाने को तैयार वह अवश्य ही अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। सफलता की सीढ़ी चाहती है कि, आप लक्ष्य प्राप्ति की राह पर आगे बढ़ें और बीच में आने वाली रूकावटों को समझें। उनके प्रभाव, उनकी प्रकृति, उनके दुष्प्रभाव को समझें, उनसे रूबरू हों क्योंकि यह रूकावटें हमारी कमजोरियां हैं जिन्हें जाने बिना, पहचाने बिना और उनसे लडऩे की तकनीक जाने बिना हम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते। सफलता की सीढ़ी चाहती है कि, आप समय के साथ रहें, आपमें स्फूर्ती हो, आप छोटी-छोटी सफलता प्राप्त कर जीवन को सफलताओं से परिभाषित करें।
किसी ने खूब कहा है, ‘हर आपदा अपने साथ असीम संभावनाएं लेकर आती है बस जरूरत है तो उसे भुनाने कीÓ और सफलता की सीढ़ी इस राह पर सदैव आपके साथ है।
घर पर रहें। अपना और घर के बुजुर्गों का ध्यान रखें।