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सफलता की सीढ़ी… लक्ष्य प्राप्ति के लिए आवश्यक गुण है साहस
- अभिषेक सर
- 27-07-2020
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सुबह सुबह का समय था, कुछ ही कदम दूर था मंजिल को पाने में, सांसे गहरी और मस्तिष्क संवेदना शून्य होता जा रहा था, समय करीब आने लगा था, एक सैलाब था भावनाओं का, मुझे लगा बस छू ही लिया आसमां-कुछ ऐसी मनोस्थिति रही होगी 29 मई 1953 को सुबह 11 बजे जब सर एडमंड हिलेरी की, जब वह कुछ ही कदम दूर होंगे पृथ्वी की सबसे ऊंचाई तक पहुंचने वाले। जी हां, जब वह माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पहले व्यक्ति बने और सोचिए सफलता भी कैसी अल्पकालीन केवल 15 मिनट। जब वह एवरेस्ट की चोटी पर खड़े उस विहंगम दृश्य का लुत्फ उठा सके। ऑक्सीजन की कमी के रहते उन्हें अपनी सफलता या यूं कहें कि, जीवन उद्देश्य की प्राप्ति का आनंद उठाएं, इससे पहले कि उन्होंने उस विकट रास्ते से उतरना शुरू किया। यह उस साहसी पर्वतारोही की कहानी है जो इस अभियान से पहले कई दफा नाकाम हुआ परन्तु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने साहस व हौसले से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह की। रोबर्ट ग्रीन एग्रोसेल ने क्या खूब कहा है, ‘व्यक्ति की महानतम परीक्षा अपनी असफलता को दिल छोटा किए बगैर अपनाने में है।Ó
साहस, पराक्रम, वीरता अथवा हिम्मत जो नाम कहें, यह शक्ति है जो प्रत्येक को आपेक्षित है। यह वो गुण है जो व्यक्ति को सम्मान के योग्य बनाता है। इतिहास में कई व्याख्यान मिल जाएंगे जो भुजबल की वीरता को बयां करते हैं। साहस का विस्तार बहुआयामी है जो शारीरिक पराक्रम तक सीमित नहीं होता अपितु साहस द्वारा नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग तथा महात्मा गांधी जैसे व्यक्तित्व से भी परिभाषित किया है जिन्होंने समाज हित और अधर्म के विरूद्ध संघर्ष के चेहरे बने अपने जीवन की कीमत पर। उद्यमी जैसे बिल गेट्स, ईओन मस्क, मुकेश अंबानी, स्टीव जॉब्स जिनमें साहस है आर्थिक जोखिम उठाने का ताकि वह अपने सपने पूरे कर सकें और जिन्हें 21वीं सदी के महान योद्धा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। व्यक्ति के सभी सपने साकार हो सकते हैं यदि हममें उसका पीछा करने का हौसला हो। बहरहाल जीवन में कठिनतम क्षण परास्त व्यक्ति का प्रयासरत रहने का हौसला होता है।
व्यक्ति स्वयं के भीतर के साहस को कई रूप में परिभाषित करने का सामथ्र्य रखता है। अपितु साहस और भय एक सिक्के के दो पहलू हैं। जहां साहस है वहां भय का होना अवश्यभांवी है जिसका तात्पर्य व्यक्ति के भीतर भय की अनुपस्थिति से कतई नहीं है। यद्यपि भय साहस का मार्ग अवरोधक है और साहस व्यक्ति का वह प्रभुत्व है जिसके रहते भय को हावी नहीं होने देता। स्पष्ट अर्थों में भय व्यक्ति के भाव हैं जो उसके मन में उत्पन्न होते हैं और साहस व्यक्ति का कार्य है जो व्यक्ति को डर से प्रभावित नहीं होने देता। व्यक्ति का जुनून उसे भीतर के भय से लडऩे का साहस देता है। जुनून व्यक्ति को वह साहस देता है जिससे वह साहसिक कार्य करने को प्रोत्साहित होता है। ऐसा नहीं है कि, व्यक्ति के भीतर का भय अपनी उपस्थिति दर्ज करता है कि जो कार्य वह करने जा रहा है वह कठिन होगा परन्तु उसका साहस इस कमजोरी को उजागर होने नहीं देता।
सफलता की सीढ़ी कहना चाहती है, यदि आपके सपने हैं जिन्हें आप पाना चाहते हैं, जिनका पीछा करना चाहते हैं तो यह आवश्यक है कि, उनका पीछा पूरे जुनून और सकारात्मक सोच से करना चाहिए। यह वह तत्व है जो व्यक्ति के साहस को बढ़ाता है, वह हौसला है जो व्यक्ति को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हर संभावित प्रयास और चुनौतियों के लिए तैयार करता है ताकि वह अपने लक्ष्य को साकार कर सके। हमारे चारों ओर अनगिनत लोग अपने सपने को दिल में छुपाए हमारे पास से गुजरते हैं क्योंकि उन्हें अपने सपने साकार करने का साहस नहीं होता। वह अपने लक्ष्य व सपनों को स्वयं से बड़ा बना चुके होते हैं। उन्होंने मन ही मन खुद को ढ़ांढस बंधा दिया होता है कि, जो सपने उन्होंने देखे हैं या तो उनकी पहुंच से दूर हैं या असंभव हैं और इस सोच को बढ़ावा देने का श्रेय हमारे भय को देना चाहिए जो व्यक्ति को जीवन उद्देश्य की ओर बढऩे से पल पल रोकता है। आपमें वह शक्ति है, वह जज्बा है, वह सामथ्र्य है, वह साहस है जिसकी आवश्यकता आपको सपने पूरे करने के लिए है। आप असंभव लक्ष्य भी पा सकते हैं, आवश्यकता है तो बस कठिन असहज क्षणों में साहस की। आप स्वयं से कहें, ‘हां मैं कर सकता हूंÓ। व्यक्ति के लिए साहसी जीवन जीने का समय और काल नहीं होता, वह अगले क्षण अपना जीवन साहसी होकर बिता सकता है क्योंकि साहस और सहूलियत ऐसे दो विकल्प हैं जो व्यक्ति के पास सदैव उपलब्ध हैं बस चुनना आपको है।