सफलता की सीढ़ी… सफलता के लिए आत्मनिर्भरता आवश्यक

 सफलता  की  सीढ़ी… सफलता के लिए आत्मनिर्भरता आवश्यक

सफलता की सीढ़ी ने आपके समक्ष सफलता के कई प्रत्यक्ष पहलुओं पर रोशनी डाली है परंतु आज जिस पहलू पर हम चर्चा करने जा रहें हैं वह पहलू भले ही प्रत्यक्ष रूप से आपके सफलता और लक्ष्य प्राप्ति के प्रत्यक्ष भागीदार ना हों परंतु अप्रत्यक्ष रूप से आपकी सफलता का निर्धारण यही करता है। सफलता की सीढ़ी आज आत्मनिर्भरता पर चर्चा कर रही है। आपके मस्तिष्क पटल पर कई प्रश्न उभरने लगे होंगे जैसे आत्मनिर्भरता कैसे व्यक्ति की सफलता निर्धारित करती है जबकि व्यक्ति सफल हो कर आत्मनिर्भर होता है? या यह कि क्यों प्रतियोगी को आत्मनिर्भर होना आवश्यक है? आदि आदि। तो यहां स्पष्ट कर दें कि आज सफलता की सीढ़ी आपको इन सभी प्रश्नों के उत्तर के साथ यह बताएगी कि आत्मनिर्भरता का सफलता में क्या रोल है। आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने आप को अपने संघर्ष के लिए तैयार करता है और उसके लिए ऐसा करना आवश्यक भी है क्योंकि इस से वह स्वयं को खोज लेता है। वह कौन है ? उसकी कौनसी अनूठी विशेषता है जैसे महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर खोज लेता है। फलस्वरूप अपने दूरगामी लक्ष्य से आत्मनिर्भरता को स्वत: ही प्राप्त कर लेता है।
यदि हम व्यक्ति की आत्मनिर्भरता और अन्योन्याश्रित प्रकृति को प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में समझते हैं तो प्रतिस्पर्धा का अर्थ प्रतियोगी के लिए लक्ष्य प्राप्ति है। प्रतिस्पर्धा में प्रतियोगी को परिणाम के लिए संघर्ष बोध होता है। उसे आत्मविश्वास, आत्मनिर्भर व स्वावलंबी होना सीखना पड़ता है। उसे अपने प्रतिद्वंदी के प्रयासों से अधिक प्रयास कर उनसे अधिक लाभ प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, प्रतिस्पर्धा में प्रतियोगी को अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रयासरत रहना आवश्यक है।
प्रतियोगी को अपने स्वयं के प्रयासों और मेहनत पर निर्भर होना सीखना होता है। वह अपनी सफलता के लिए किसी भी अंश के लिए किसी अन्य पर आश्रित होने का नहीं सोच सकता।
उदाहरण के लिए यदि आपने कोई कोचिंग क्लास जोईन किया तो अब आप अपनी सफलता की संभाव्यता के लिए मात्र कोचिंग क्लास एवं वहां की फैकल्टी की मेहनत पर निर्भर नहीं रह सकते। आपको निश्चिंत नहीं हो जाना है कि, बस अब मेरी सफलता का पूरा दारोमदार इस कोचिंग क्लास की मेहनत पर निर्भर है, यदि आपके दिमाग में ये ख्याल आ गया तो समझ लीजिये उसी वक्त आपने अपनी सफलता की सम्भावना को क्षीण कर दिया। आप किसी भी परिस्थिति में अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर चलने के लिए पूर्णरूपेण किसी पर निर्भर नहीं हो सकते। आपको आत्मनिर्भर हो कर सफर तय करना है। यदि कोई विषय अपनी कमजोरी है तो उसको स्वयं के लिए आसान बनाना आपका ही काम है आप उसके लिए किसी कोचिंग क्लास पर पूर्णत: निर्भर नहीं हो सकते। आपको परिश्रम कर के उस विषय की कमजोरी पर लगाम लगानी होगी, विषय पर पकड़ बनानी होगी जो सिर्फ आप कर सकते हो कोई अन्य आपके लिए ये नहीं कर देगा।
यहीं आपको ये भी ध्यान रखना होगा कि आपको अपनी अध्ययन सामग्री के लिए भी आत्मनिर्भर होना है। आपके मित्र चाहे कितने भी अच्छे घनिष्ट हों परंतु आप सफलता के मार्ग में किसी का कंधा ले कर नहीं चल सकते, हां नैतिक सपोर्ट की बात अलग है परंतु अपना अध्ययन और अपनी निपुणता आपको स्वयं बढ़ानी है और उसके लिए अस्त्र शस्त्र भी स्वयं के तैयार करने हैं अर्थात् आपको अपनी अध्ययन सामग्री स्वयं एकत्र करनी है, अपने नोट्स बनायें, अपनी रणनीति बनायें, सीखने एवं याद रखने के अपने तरीके सीखें क्योंकि प्रकृति ने प्रत्येक व्यक्ति को भिन्न प्रतिभा दी है, हो सकता है आपका मित्र किसी दूसरे तरीके से ज्यादा अच्छे तरीके से याद रख पाता है, सीख पाता है या समझ पाता है और वहीं आप किसी एकदम अलग तरीके से ज्यादा अच्छे से सीख, समझ पाते हैं। ऐसे में यदि आपने आत्मनिर्भरता छोड़कर किसी अन्य के तरीकों का अनुगमन किया तो हो सकता है आप अपने भीतर के श्रेष्ठ को जान ही ना पायें। आपको मेहनत करनी है अपने श्रेष्ठ को बाहर लाने की और उसके लिए आवश्यकता है आत्मनिर्भर हो अपने मार्ग में स्वयं चलने, गिरने, उठने, फिर चलने, संभलने और आगे बढऩे की।
‘आपकी आत्मनिर्भरता से आपमें आत्मविश्वास बढ़ेगा और उसी अनुपात में सफलता की सम्भावना। Ó

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

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