डाक विभाग कॉलोनियों में जाकर खोल रहा है सुकन्या समृद्धि खाते
सफलता की सीढ़ी… जीवन अवसरों का नाम है
- अभिषेक सर
- 19-06-2020
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व्यक्ति का डर उसकी मौत को रोक नहीं सकता परंतु उसे जिंदगी जीने से अवश्य रोक सकता है। चिंता आने वाली कठिनाइयों को कभी कम नहीं कर सकती परंतु आज की मन की शांति को अवश्य भंग कर सकती है। जीवन कठिनाइयों और संघर्ष से भरा है असफलता पग-पग पर खड़ी मिल जाती है, यह संघर्ष ही जीवन का सबसे बड़ा ऊर्जा का स्त्रोत है, संघर्ष से कभी मत हिचको असफलता सफलता जीवन का चरित्र है और इनके दुष्परिणाम को सोचकर विश्लेषण कर अपने आप के लिए निर्णय लेना घोर पाप है। क्या हुआ जो हार गए, क्या हुआ जो फेल हो गए, क्या हुआ कि कुछ समझ नहीं आता आगे जीवन में क्या करें, क्या यह जीवन का अंत है? जी नहीं जीवन जब एक रास्ता बंद करता है तो दूसरे अनेकों नेक रास्ते खोल भी देता है, समस्याएं जो आज अभेद्य चक्रव्यूह लग रही थी क्या पता उसे भेदने का कल मंत्र मिल जाए। व्यक्ति को कभी हार नहीं माननी चाहिए, कभी जीवन से उम्मीद नहीं छोडऩी चाहिए। यह जीवन हमें एक बार ही मिलता है और एक ही क्षण लगता है इसे अंत करने में, जरा सोचिए क्या यह समाधान है अपनी कठिनाइयों को अंत करने का? नहीं! संघर्ष और जीवन को अक्सर एक दूसरे के पर्यायवाची कहा जाता है, जीवन संघर्ष का ही नाम है। हमें उठना है उस राख के ढेर से फिनिक्स की तरह। याद रहे शक्तिशाली लोगों का शायद ही आसान अतीत रहा होगा और यदि हम अपने जीवन की परेशानियों को संघर्ष से हराकर सफल व्यक्ति बनते हैं तो कठिनाइयों का अंत अवश्य होगा।
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने कहा था, ‘जीवन का अर्थ स्वयं को ढूंढऩा नहीं, स्वयं को सृजन करना है।Ó यदि हम स्वयं का निर्माण करने की ठानें तो अवश्य हमें असफलता पग पग पर मिलेगी जो भयभीत भी करेगी परंतु हर असफलता के बाद आप शून्य से प्रारंभ नहीं कर रहे हैं बल्कि हर असफलता के बाद आप एक नए अनुभव के साथ प्रारंभ करने जा रहे हैं। यह छोटे-बड़े अनुभव अंत में एक सफल व्यक्तित्व का निर्माण करेंगे जो, आप हो! तो क्या हुआ यदि हम भूतकाल में जाकर संघर्ष के प्रारंभ को नहीं बदल सकते लेकिन हम आज एक नई ऊर्जा के साथ संघर्ष प्रारंभ कर हमारे जीवन को सफल परिणाम तक अवश्य पहुंचा सकते हैं।
व्यक्ति अपने भविष्य की चिंता कर अपने आज के कर्म को भूल जाता है, वह होने या ना होने के खेल में ऐसा फंस जाता है कि डिप्रेशन, एंग्जाइटी, सोशल आइसोलेशन, मेंटल इलनेस जैसे मानसिक विकार से ग्रस्त हो जाता है, वह भूल जाता है कि जो भविष्य में होने वाला है वह अभी हुआ नहीं है और जो आज और अभी व्यक्ति के हाथ में है उससे भविष्य बदला जा सकता है यदि मान भी लें भविष्य में होने वाली घटना अवश्यंभावी है तब भी व्यक्ति को हार नहीं माननी चाहिए, जीवन के समक्ष घुटने नहीं टेकने चाहिए। याद रहे असफलता का अल्पकालिक डर तब तक रहता है जब तक आप सफल ना हो जाएं परंतु सफलता के लिए नहीं किए गए आपके संघर्ष आपको ताउम्र पछतावा देंगे। आपको अपने आप से यह प्रण करना चाहिए कि कभी अपने भूतकाल की नाकामी और भविष्य की असफलता का डर आप के आज के संघर्ष और कार्य पर हावी नहीं होने देना है। जो बीत गया उस पर आप का जोर नहीं जो आने वाला है वह आपके बस में नहीं उस से व्यथित होकर परेशान होकर आप अपने वर्तमान को क्यों बर्बाद करने जा रहे हैं। याद रहे प्रत्येक दिन आपके जीवन में एक नया अवसर है तो फिर आज में क्यों न जिएं ? क्योंकि आज का यह अवसर कल पछताने के सिवा और कुछ नहीं छोड़ जाएगा।
ऑस्ट्रीयन यहूदी विक्टर फ्रैंकल एक मनोचिकित्सक थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर द्वारा यूरोप के यहूदियों पर हिंसात्मक व्यवहार किया गया, इसके चलते फ्रैंकल को औसस्वीट्स जेल में डाल दिया जो कि यहूदियों पर अत्याचार के लिए कुख्यात थी, उन्हें उनकी पत्नी और बेटी से भी अलग कर दिया गया और बाद में पता चला कि उन्हें मार दिया गया था। अपने विरुद्ध असभ्य कृत्य की घटनाओं को सहन कर कई बार उन्हें आत्महत्या का विचार आया, इन अवर्णनीय घटनाओं के बीच उन्होंने एक ऐसी आजादी को खोज निकाला जो उनसे कोई भी छीन नहीं सकता था वह था, ‘अपना भावपूर्ण रवैयाÓ जिसे आप इमोशनल एटीट्यूड भी कह सकते हैं, उन्होंने निश्चय किया कि वह सदैव प्रसन्न, प्रफुल्लित रहेंगे चाहे कैसी भी परिस्थिति हो। उन्हें जेल में सदैव हंसते मुस्कुराते देखा जाने लगा जो जेल के अन्य कैदियों के प्रेरणा के स्त्रोत बने। फ्रैंकल ने अपनी किताब ‘मैन सर्च फॉर मीनिंगÓ में लिखा, ‘उन्हें एहसास हुआ कि वह व्यक्ति जिसके पास कुछ बचा ही ना हो जीवन में खोने के लिए वह भी परम आनंद की अनुभूति कर सकता है यदि वह उचित विचारों को अपने मन मस्तिष्क में शरण दे।Ó उनके समक्ष जो परिस्थितियां थी उन पर उनका बस नहीं था इसका उन्हें ज्ञान था पर जिस पर उनका नियंत्रण था वह उनका मन था और वह किसी भी सूरत में किसी के भी द्वारा उसमें बाधा पहुंचाने देना नहीं चाहते थे। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद फ्रैंकल ने दुनिया भर की यात्रा कर 219 विश्वविद्यालय में लेक्चर दिए, 29 बार उन्हें सम्मानित डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया गया, उनके नाम से 15 भाषाओं में डेढ़ सौ से अधिक किताबें लिखी गई। इस वृतांत से यह स्पष्ट है कि अवांछनीय हालात या घटना व्यक्ति के जीवन में घटती है, यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि ऐसे हालात के सामने नतमस्तक हो जाए या इन हालातों से डटकर मुकाबला करें और अनुकूल बनाएं यह सब कुछ संभव है आपकी ‘भावना प्रबंधनÓ (इमोशन मैनेजमेंट) की योग्यता से। हाल ही में घटी घटना जिससे पूरा देश स्तब्ध रह गया, देश ने एक होनहार कलाकार सुशांत सिंह राजपूत के तौर पर खो दिया। बहुमुखी प्रतिभा का धनी जिनके पास सफलता की असीम संभावनाएं थी इस दुनिया को छोड़ गए। एक ऐसा कलाकार जिसने बेहद लोकप्रिय पात्र निभा कर करोड़ों दिलों में अपनी जगह बनाई, ऐसा कलाकार जिसने ्रढ्ढश्वश्वश्व परीक्षा में देश में 7 वी रैंक बनाई, जो मैथ्स ओलंपियाड के विजेता थे, जो क्वांटम फिजिक्स की किताब सेट पर लेकर जाते थे ऐसे बहुआयामी प्रतिभा के धनी कलाकार को खोना एक बड़ी हानि है? ऐसे कलाकार को श्रद्धांजलि। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बुरे दौर आते हैं और ऐसे कठिन समय आपको बेहतरीन क्षणों तक ले जाने वाले होते हैं आपको हर कीमत पर संघर्ष जारी रखना चाहिए समय और परिस्थितियां ताकतवर व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। सभी तूफान आपकी जिंदगी उजाडऩे नहीं आते कुछ आपके रास्ते साफ करने भी आते हैं।
सफलता की सीढ़ी कहना चाहती है कि, जीवन में कोई ऐसा निर्णय लेना नहीं चाहिए जो आपके जीवन को विराम और आपकी छुपी प्रतिभा का अंत कर दे, जीवन अवसरों का भी नाम है, एक अवसर जाता है तो दूसरा स्वत: ही हमारे सामने आकर खड़ा हो जाता है। यदि हम असफलता व कठिनाइयों के दर्द पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो हम जीवन भर ऐसे दर्द को भुगतते रहेंगे और यदि असफलता संघर्ष और कठिनाइयों से लिए तजुर्बे को लिए आगे बढ़ेंगे तो आजीवन उन्नति करेंगे।