समय की संदूक में अपनी यादों को भर कर रखना …

 समय की संदूक में अपनी यादों को भर कर रखना …
  • रक्षित परमार, उदयपुर (राजस्थान )
    उदयपुर में निवासरत युवा लेखक काव्यांगन संस्था के फाउंडर है ।
    rakshitparmar2015@gmail.com

कुछ लम्हें शायद लौट कर नहीं आते अगर आ भी जाते हैंं तो उनमें वो अहसास बहुत फीके पड़ जाते हैं जिन्हें कभी जीया होता है। कुछ लम्हों को न चाहते हुए भी खामख्वाह बस गुजर जाना होता है। दिल यकीनन मगरूर होता भी है तो बस कुदरत के करिश्मों पर, जहां हमने जन्म लिया, जहां से कदम-दर -कदम हमने चलना शुरू किया। लोगों ने अपनी पगडंडियां पानी में बना ली, आसमां में लोगों ने अपने घर बना लिये, हम अब भी इस धरती के पेटे पर लेटे हैं, खुले आसमां तले बस अदने से खड़े हैं, धरती की बाहों में खुद को समेटे हुए, उसी में मिट जाने को सोचते हैं। इन सांसों को सब्र है कुछ कर गुजरने का तब गाहे बगाहे खुद को अपने अतीत से मिलाना पड़ता है। अपनी जमीन – अपना आसमां बस अपने लिए ही तो है ताकि हम खुले में बेपनाह सांस ले सकें।
कभी -कभी दुनिया के आडंबरों से बाहर आकर खुद से मिलना होता है, खुद से लिपटकर सुबकना बड़ा दर्दभरा है मगर अच्छा है। बड़ी देर तलक कौंधयाई आंखों से अपने आंसुओं का बहना तकलीफदेह होता है मगर एक इंसान को इंसान तो रहना ही चाहिए। लोग जिंदगी के सफरनामे में आते हैं, जाने वाले चले जाते हैं, कोई होते हैं जो रूक जाते हैं । बहुत सारे बरबस चले जाते हैं, कुछ विरले हंै जो हरदम साथ रहना चाहते हैं, कुछ ऐसे भी हंै जो बस समय गुजारने के लिए आते हैं। कुछ हैं जो मजबूरियों से हाथ मिलाते हैं, कुछ की खामोशियां जाने क्यों बड़ी चुभती जाती है। पल -पल में जैसे हथोड़े से वार -प्रहार उनकी खामोशियों से बेशकीमती सुकून को तोड़मरोड़ देने के भाव कहांं से ले आते हैं! कुछ की आवारगी बड़ी अखरती है, कुछ का अपनापन मेरे दिल को भाता है!
हम अकेलेपन और एकांत की कहानी को जानते हैंं, शक्ल खूबसूरत -बदसूरत मिल भी जाये मगर दिल के अस्थिर ढांढस को कैसे समझाएं कि तेरा वजूद कोई शक्ल नहीं तेरे काम, तेरे संघर्ष, तेरी सहजता और तेरा अपनापन है। समय की संदूक में खुद की यादों को भर कर रखना कब तलक संभव होता है! अब बहुत दफा मुमकिन नहीं होता मगर अक्सर इसको खोल देता हूं , कुछ जरूरतें ही ऐसी है जिसमें जवाब बहुत सिमटते जाते हैंं परंतु शब्दों में वो ताकत है जिनसे हम बहुत कुछ कह सकते हैं।

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

Related post