डाक विभाग कॉलोनियों में जाकर खोल रहा है सुकन्या समृद्धि खाते
मां सबसे अच्छी और निकटतम मित्र: डॉ. राठौड़
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय के मानव विकास एवं पारिवारिक विभाग द्वारा विश्वविद्यालय कर्मियों के 6 -12 वर्षीय बालकों हेतु 14 दिवसीय ई-समर कैम्प गुनगुनी गपशप में प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि, मां सबसे अच्छी और निकटतम मित्र होती है।
इस दौरान आपने अपने बचपन से लेकर बड़े होने तक के खट्टे मीठे अनुभवों को साझा करते हुए, बहुत ही सहज एवं सरल तरीके से बालकों को जीवन जीने के गुर बताए। उन्होंने खुशी को स्वयं के भीतर ही बताते हुए कहा कि, इसके लिए भौतिकवादी सुखों के पीछे ना भागें। आपने कहा कि, इस उम्र में आप सभी के पास बहुत शक्ति व समय है इसे सकारात्मक दिशा में लगाएं तथा जीवन लक्ष्य को प्राप्त करें।
आपने माता-पिता-गुरुजनों के बाद दोस्तों का स्थान बताया और मां को सबसे अच्छी और निकटतम मित्र, मार्गदर्शक बताया। सफल व्यक्तियों के जीवन से शिक्षा लेकर स्वयं का जीवन प्रेरणादायक बनाने का आह्वान किया। आयोजिका डॉ. गायत्री तिवारी के इस प्रकार के नवाचार व पहल को सराहते हुए आयोजन सचिव विभागाध्यक्ष डॉ. गायत्री तिवारी एवं समन्वयक डॉ. सुमित्रा मीणा, खाद्य विज्ञान व पोषण विभाग की वैज्ञानिक से आगे भी ऐसे कार्यक्रम करने की महती आवश्यकता बताई।
डॉ. गायत्री तिवारी ने बताया कि, इस तरह का आयोजन पहली बार किया गया। कोरोना के चलते बालक इस बार समर कैम्प जैसी सुविधाओं से वंचित रह गए हैं, ऐसे में कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ के मार्गदर्शन तथा अधिष्ठात्री डॉ. रितु सिंघवी के सहयोग से आयोजित यह कैम्प पूर्णतया प्रासंगिक सिद्ध हुआ। सभी आयुवर्ग के बालकों ने इसमें बढ़ चढ़कर भाग लिया।
इंटरैक्टिव सेशन के माध्यम से चलाये गए इस 14 दिवसीय कार्यक्रम में हालांकि इंटरनेट की कनेक्टिविटी कम होने की वजह से कभी कभी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा लेकिन खास बात ये रही कि कोई भी बच्चा हताश या तनाव ग्रस्त नहीं हुआ। सभी एक दूसरे की बारी का इन्तजार करते और तन्मयता से उत्साहवर्धन भी करते थे।
हर शाम को बालकों को दूसरे दिन के विषय से संबन्धित कोई एक्टिविटी बता दी जाती थी, जिस पर उनको तैयारी करके आना होता था। दी गई एक्टिविटी के कुछ उदाहरण-आपको गुस्सा क्यों आता है ? आपको खुद की कौनसी आदतें अच्छी/बुरी लगती हैं? आपकी रूचि क्या है ? किस विधा में खुद को टैलेंटेड मानते हो? पापा क्यों डांटते हैं और मम्मी क्यों डांटती हैं? घड़ी का क्या काम है? बच्चों को शरीर के अंगों का महत्व कहानी के माध्यम से बताते हुए परिवार के सभी सदस्यों को भी अंगों के उदाहरण से समझाया कि हर रिश्ता कितना महत्वपूर्ण है। गुस्से के नकारात्मक प्रभाव भी कहानी के माध्यम से बताये गए।
डॉ. सुमिता मीणा, आहार एवं पोषण विशषज्ञ तथ कार्यक्रम की संयोजक ने पीपीटी के माध्यम से आहार विहार पर विस्तृत चर्चा की। राजस्थान विश्वविद्यालय की डॉ. ज्योति मीणा ने बालकों को पॉजिटिव थिंकिंग की आवश्यकता व महत्व बताया।
कैम्प का नाम गुनगुनी गपशप रखा गया क्यूंकि इसमें 14 अक्षर हैं और हर दिन एक एक अक्षर के आधार पर 40 मिनट के सत्र आयोजित किये गए। अंत में आयु के अनुरूप प्रतिभागियों के लिए प्रतिस्पर्धा का आयोजन भी किया गया। समापन सत्र में सभी अभिभावकों को आमंत्रित कर सभी प्रतिभागियों को एक एक सन्देश देने को कहा गया, जिसे काफी सराहा गया। अभिभावकों ने बताया कि ऑनलाइन करने से बालकों में पढ़ाई के अलावा दूसरी गतिविधियों के लिए भी कौशल विकसित हुआ है।
लोक डाउन की वजह से बच्चों में जो बोरियत और चिड़चिड़ापन देखने में आता था वो खत्म सा हो गया और बच्चे इसके लिए समय से पहले तैयार हो कर बैठ जाते थे। उन्होंने इस कार्यक्रम को तपते रेगिस्तान में ठंडी छांव बताया। उन्होंने कहा, ज्ञान और कौशल का कभी भी नकारात्मक इस्तेमाल ना करें, अपने टैलेंट को विकसित करें, अच्छा इंसान बनें आदि। कैम्प में कुल 46 प्रतिभागियों ने भाग लिया।