अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने की मांग के लिए दिया ज्ञापन

 अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने की मांग के लिए दिया ज्ञापन

डूंगरपूर। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिकारीगण की पीठ द्वारा 7 फरवरी को सुनाए गए निर्णय के अनुसार राज्य सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने के लिए किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार नहीं है। इस निर्णय के विरोध में रविवार को एससी व एसटी के प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि यह फैसला असंवैधानिक है जिसका सीधा मकसद राज्य और केंद्र सरकारों में एससी व एसटी के प्रतिनिधियों को उच्च प्रशासनिक पदों पर जाने से रोकना है जबकि प्रावधानों के अंतर्गत यह अधिकार है कि एससी व एसटी के प्रतिनिधि को जनसंख्या के अनुपात में केंद्र व राज्य सरकार की सेवाओं में समानुपातिक भागीदारी सुनिश्चित की जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि, यह फैसला इन वर्गों के हितों पर गहरा कुठाराघात है और उचित व पूर्ण प्रतिनिधित्व राजकीय सेवाओं में नहीं मिल पा रहा है साथ ही बैकलॉक भी कभी पूरा नहीं किया जाता जिनकी मांग लम्बे समय से उठाई जा रही है जिनकी कोई सुनवाई कभी नही हुई इसलिए अब महामहिम से निवेदन है कि इस पर कानून बनाकर पारित करवाया जावे।इसी के साथ नागौर जिले के खींवसर विधानसभा अंतर्गत पाचोधी थाना क्षेत्र में दलित युवक के साथ अमानवीय घटना करते हुए मात्र 100 रुपये की चोरी के इल्जाम में युवक के गुप्तांग में पेचकस ओर पेट्रोल डाला गया व बुरी तरह से मारपीट की गई। बाड़मेर, जोधपुर आदि जिलों में आये दिन ऐसी घटनाएं आम बात हो गई है जो दलितों के साथ अत्याचार है। इस हेतु कड़ा कानून बनाया जावे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जावे, का भी ज्ञापन उपखंड अधिकारी सुरेश कुमार खटीक को दिया गया।
इस मौके पर सुखदेव यादव, नटवरलाल यादव, मोहनलाल यादव, ललित यादव, सोमलाल कोटेड, अनिल रंगोत, पवन विहात, अमृतलाल यादव, शंकर लाल कोटेड, किशनलाल, मोगजी भगोरा, सोहनलाल डामोर तथा लालशंकर रोत आदि मौजूद थे।

 
 

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

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