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हरिद्वार यात्रियों को अस्थि विसर्जन की स्वीकृति की मांग को लेकर दिया ज्ञापन
पुष्कर (अजमेर), मुरली पाराशर।
तीर्थ नगरी पुष्कर में अपने पूर्वजों की अस्थियां लेकर आने वाले यात्रियों को प्रशासन द्वारा घाटों पर रोक लगाने को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों में जबरदस्त रोष है।
स्थानीय तीर्थपुरोहितों ने बताया कि जहां लॉकडाउन के अंदर राज्य सरकार ने स्पेशल बसें लगाकर अस्थि विसर्जन की व्यवस्था करवाई थी तो वहीं इस बार प्रशासन ने हरिद्वार सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से अस्थियां लेकर आने वाले यात्रियों को घाटों में अस्थि विसर्जन पर रोक लगा दी। इससे स्थानीय पुरोहितों में रोष है।
इसी को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों ने एसडीएम दिलीप सिंह राठौड़ को ज्ञापन दिया कि हरिद्वार सहित आसपास के क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों को अस्थि विसर्जन कर्मकांड तर्पण करने की छूट दी जाए। उन्होंने बताया कि दूरदराज से लोग अपने पूर्वजों की अस्थियां लेकर आते हैं लेकिन प्रशासन ने इस बार इन पर रोक लगा दी है जिसके चलते यात्रियों की आस्था पर आघात पहुंच रहा है और भावना को ठेस पहुंच रही तो वहीं दूसरी तरफ तीर्थपुरोहितों की रोजी रोटी भी संकट में आ गई है।
गोविंद पाराशर, हरिप्रसाद पाराशर, विष्णु पाराशर तथा विजय पाराशर ने एसडीएम को ज्ञापन देकर तुरंत प्रभाव से पुष्कर में अस्थियां लेकर आने वाले यात्रियों को सरोवर में अस्थि विसर्जन करने की स्वीकृति प्रदान करने की मांग की है। तीर्थ पुरोहित गोविंद पाराशर ने बताया कि तीर्थ पुरोहित और यात्री पूरी कोरोना गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं तथा कोरोना गाइड लाइन के साथ ही अस्थि विसर्जन करवा रहे हैं कोई भी कोरोना गाइड लाइन की अवहेलना नहीं कर रहा है। इसलिए जो भी पुष्कर में अस्थियां लेकर आए उन्हें घाटों पर अस्थि विसर्जन करने की स्वीकृति दी जाए।
तीर्थ पुरोहितों की रोजी-रोटी संकट में
तीर्थ नगरी पुष्कर में इस बार भी कोरोना महामारी के चलते तीर्थ पुरोहितों की रोजी रोटी संकट में आ गई है। प्रशासन द्वारा सरोवर के घाटों पर अस्थि विसर्जन पर रोक लगाने के बाद अब तीर्थ पुरोहितों की रोजी-रोटी संकट में आ गई है और उनकी आजीविका चलना मुश्किल हो गई है। पुष्कर में करीबन 80 प्रति. परिवार सिर्फ तीर्थपुरोहिती के कार्य से जुड़े हुए हैं और उनकी आजीविका भी यात्रियों के पीछे चलती है लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि तीर्थ पुरोहितों की तरफ राज्य सरकार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने कभी ध्यान नहीं दिया।
लॉकडाउन के अंदर भी तीर्थ पुरोहितों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और कई तीर्थ पुरोहितों की आजीविका भी मुश्किल में पड़ गई। इस बार भी प्रशासन और राज्य सरकार ने तीर्थ पुरोहितों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और उल्टा उनकी रोजी-रोटी संकट में डाल दी जिसके चलते उनको आजीविका चलना भी मुश्किल हो गया है। इसलिए राज्य सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को तीर्थ पुरोहितों की आजीविका के बारे में सोचना चाहिए तथा राज्य सरकार को पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों के लिए स्पेशल पैकेज की व्यवस्था करना चाहिए।