यदि मास्क जीवन का हिस्सा बन जाये

 यदि मास्क जीवन का हिस्सा बन जाये

डॉ. कुसुमलता टेलर
विश्वविद्यालय मार्ग, उदयपुर
मो. 9461201557

कोरोना (कोविड 19) ने विगत दो महीने से पूरी दुनिया में अपना आतंक मचाया हुआ है। कोविड 19 के वायरस पर काबू पाने हेतु संपूर्ण विश्व में लॉकडाउन करने की स्थिति आ गई। कोरोना के कारण स्कूल, कॉलेज, रेल, बस, किराणा की दुकानों सहित पूरे बाजार बंद करवा दिये गए। यही नहीं जो जहां है वहीं रुक जाओ, कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर नहीं निकल सकता।
ऐसी स्थिति में सबको ऐसा लगने लगा मानो जीवन थम सा गया हो, जब घर से बाहर ही नहीं निकलना, तो बस फिर क्या था ? सब अपने -अपने घर और ऊपर से कोविड 19 का डर। धीरे धीरे लॉकडाउन में छूट मिली और सेनीटाइजर तथा मास्क जीवन के हिस्से बन गये। मास्क तो ऐसा मुंह लगा कि बिना इसके बिना पहने तो कोई किराणा वाला उसे कोई वस्तु नहीं देता, मानों वह उन वस्तुओं के दाम नहीं चुका रहा हो।
यदि राशन के कुछ सामान मास्क के बिना नहीं मिलता तो वह स्थिति शोचनीय होगी। यदि इसकी अनिवार्यता लागू कर दें, यदि मास्क को जीवन का हिस्सा बना दिया जाये तो? सर्वप्रथम सोचनीय स्थिति तब बनेंगी जब बच्चा इस पृथ्वी पर जन्म लेगा वह सबसे पहले अस्पताल में मास्कधारी डॉक्टर व नर्सो को देखेगा, कुछ सोचने की स्थिति में आयेगा तो एक नर्स आकर उसको भी मास्क पहना देगी। बच्चे का जन्म सभी को खुशियां देता है पर ये खुशियां मास्क के अन्दर ही दब जायेगी। लोग हंसेंगे अवश्य पर दांत नहीं दिखाई देंगे न उनकी मुस्कान, दिखेंगी तो आंखें या सुनाई देगी खिलखिलाहट।
डॉक्टर जब वार्ड में बच्चों को चेक करने आएंगे तब सब के सब मास्क पहने हुए बच्चे एक जैसे ही दिखाई देंगे स्थिति कैसी विचित्र होगी ? मानो सब के सब जुड़वां हों। बच्चा जब स्कूल जायेगा उसे स्कूल युनिफॉर्म के साथ -साथ मास्क का पैकेट भी देंगे। यह भी हो सकता है कि प्रत्येक विद्यालय अपने मास्क का कोई रंग निश्चित कर ले।
बच्चे के जन्म दिवस की पार्टी हो या फिर कोई अन्य पार्टी उसमें मेजबान सहित सभी अतिथि मास्कधारी यही स्थिति अन्य पार्टियों की होगी।
शादी से पूर्व जब लड़का लड़की के घर उसे देखने जाएगा दोनों ही परिवार मास्कधारी, लड़के व लड़की दोनों की मुनियों सी स्थिति ख्वाब शादी के संजोए।
शादी का समारोह या आर्शीवाद समारोह में घर परिवार वाले विशेषकर दूल्हा व दूल्हन अपनी ड्रेस से मैच करता हुआ मास्क खरीद कर अथवा बनवाकर पहनेंगे। महिलाओं की तो बात ही कुछ और होगी उनके पास प्रत्येक डे्स, पर्स, ज्वेलरी आदि से मिलते-जुलते मास्क तो होंगे ही साथ-साथ विभिन्न तीज – त्योहारों के मास्क भी प्राप्त होंगे। कुछ स्त्रियां ऐसी भी होगी उनके पास प्रात: व शाम के समय के साथ – साथ यह घर का, यह बाजार का या यह स्कूल, कॉलेज अथवा ऑफिस का होगा, इस तरह वे अपने पास अनेक मास्क रखेंगी।
यह भी हो सकता है कि वे अपनी ड्रेस व ब्लाउज की सिलाई के साथ साथ मेंचिग के मास्क टेलर से सिलवालें। इस तरह नए नए, भिन्न-भिन्न मास्क पहनने वाले यदि देश में हों तो मास्क बनाने वाली कंपनियों व फैक्टरियों के मालिकों की चांदी नहीं सोना निकल आयेगा ।
आज का युग मोबाइल फोन का है। सबके पास स्मार्टफोन होने के कारण विशेष कर युवा अपनी प्रत्येक खुशी के पलों को कैद करने के लिए सेल्फी लेता व फोटो खींचता है। इस दौरान सेल्फी के समय युवतियां अपने मुंह, आंखें व होंठों से एक विशेष भाव-भंगिमा बना कर अपने को प्रस्तुत करती किन्तु मास्क के कारण युवतियों का यह सब स्पष्ट नजर नहीं आएगा।
ग्रुप फोटो में तो शायद कोई सबको पहचान भी नहीं पाए। इस मास्क के चक्कर में लिपिस्टिक की फेक्ट्रियां अवश्य बंद हो सकती हैं किन्तु फायदा होगा यह कि सब के होंठ वास्तविक अथवा नेचुरल रहेंगे किन्तु होंठों को रंगने की जो प्राचिन कला है वह अवश्य लुप्त हो जायेगी।
आज देश अनेक समस्याओं से जूझ रहा है उसमें बेरोजगारी भी एक महत्वपूर्ण समस्या है। लॉकडाउन ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। अत: मास्क की फेक्टरी खोलना व मास्क बनाने का कार्य बेरोजगार युवाओं का पसंदीदा काम हो सकता है क्योंकि इससे वे अन्य को भी रोजगार देने की स्थिति में होंगे।
मास्क के कारण कौन कैसा मुंह बना रहा है वो भी स्पष्ट नहीं हो सकेगा जिससे घर – घर की कहानियां बनना कुछ कम हो सकती है। इस मास्क के अन्दर भी बहुत कुछ हो सकता है। ईश्वर से प्रार्थना है कि इस कोरोना वायरस को पूर्णरुप से सदैव के लिए समाप्त कर दे और सभी को मास्क से मुक्त करें।

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

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