डाक विभाग कॉलोनियों में जाकर खोल रहा है सुकन्या समृद्धि खाते
कोरोना है तब भी जीना है
डॉ. कुसुमलता टेलर, उदयपुर
कोरोना का संक्रमण संपूर्ण दुनिया में तेजी से फैल रहा है। यह संपूर्ण भारत में न फैले इस कारण मार्च में ही लॉकडाउनकिया गया। प्रारंभिक स्तर पर ही लॉकडाउन के कारण इस वायरस से लोग बहुत भयभीत हो गए थे। लोगों ने काम धंधे आदि छोड़ कर अपने घरों में ही समय बिताया था। यह ऐसा समय था जिसे हमारे बच्चों ने, हमने, हमारे माता-पिता और दादा-दादी ने भी ऐसा समय पहली बार देखा।
इस महामारी के समय लगे लॉकडाउन का काल कई व्यक्तियों के लिए यह खुशनुमा समय था क्योंकि शायद ही कभी उन्होंने इतना समय अपने परिवार के साथ कभी बिताया हो तो कुछ लोगों के घर में खाने के लाले भी पड़ गए। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन तमाम गरीब व्यक्तियों को राशन प्रदान किया वह भी फ्री में यह केवल दो या चार महीनों तक ही नहीं बल्कि आठ नौ महीनों तक राशन का सामान उनके घर पहुंचाया।
कोविड-19 के काल में कई लोग बेरोजगार हो गए तो कई लोग इस वायरस के शिकार हो गए। कई परिवारों ने अपने घर के मुखिया, चिराग व अनेकों ने अपने परिवार को खोया है। कोविड-19 का वायरस एक ऐसा वायरस है कि इससे ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में यदि कोई आता है तो वह भी इसका शिकार हो जाता है अत: इस वायरस से ग्रस्त व्यक्ति को अकेला रहना पड़ता है। इसमें परिवार के लोग भी समीप नहीं रह सकते तो फिर अन्य कैसे उसके समीप जा सकते हैं। भारतीय संस्कृति सुख दुख में एक दूसरे के साथ रहने की शिक्षा प्रदान करती है किंतु यह वायरस ऐसा था कि मात्र इसके भय ने ही रिश्तेदार, पास- पड़ोसी यहां तक कि घर -परिवार वालों को भी दूर कर दिया।
शायद यह ग्लोबलाइजेशन का प्रभाव ही है कि चीन का वायरस भारत आया और भारतीय लोगों पर ही नहीं मानो भारतीय संस्कृति पर प्रहार किया है। यदि लॉकडाउन के दौरान से देखें तो हम यह भी कह सकते हैं कि इस कोविड ने भारतीयों को बहुत फायदे भी प्रदान किए और विशेष रूप से स्वास्थ्य के संबंध में। कोविड-19 के डर से हम भारतीयों की छोटी मोटी बीमारियां थायराइड, बीपी, शुगर, अस्थमा, सर्दी, जुखाम, खांसी व सामान्य बुखार आदि के तो जो मौसम बदलते ही हम शिकार हो जाते हैं और किसी किसी बिमारी की वर्ष भर हम दवाईयां भी खाते हैं पर कोविड-19 ने हम सबको अपना अपने परिवार का डॉक्टर बना दिया है और उनका इलाज अब हम बिना अस्पताल जाए खुद घर पर ही करने लगे और वे सब क्रियाएं करने लगे जिससे कि ये बीमारियां हम से कोसों दूर रहे। मास्क और सेनीटाइजर ने भी अपनी भूमिका बखूबी निभाई है।
कोविड ने हमारी प्राचीन आयुर्वेद और योग की परंपरा को पुन: पृष्ठ पोषित किया है। योग को लोगों ने अपनी दिनचर्या में शामिल किया है वहीं प्रतिष्ठित आयुर्वेद से अपनी इम्युनिटी को भी बढ़ाया है और अपने आप को स्वस्थ रखने लगे। कोरोना का वायरस अभी समाप्त नहीं हुआ है ना इसकी कोई वेक्सीन आई हैं किन्तु तब भी हमें जीना तो पड़ेगा ही अत: अब हमें सर्वप्रथम इसके डर को निकालना होगा तथा इसके लिए हमें अपनी इम्युनिटी को बढ़ाना होगा। रोजाना योग करना होगा। हमारी दिनचर्या में मास्क, सेनीटाइजर व साबुन आदि का प्रयोग करते हुए स्वच्छता का पालन करना होगा। हमें मीट, मांस, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू आदि को छोडऩा पड़ेगा। बाजार में खुली चीजें जो बनती है उनका इस्तेमाल करना बंद करना पड़ेगा। भीड़ -भाड़ में कम जाने की कोशिश करनी पड़ेगी। आयुर्वेद के काढ़े आदि को पीना पड़ेगा। कोविड-19 के वायरस ने लोगों के मन में न केवल भय उत्पन किया अपितु लोगों के दिलों में दूरियां भी पैदा कर दी है। हमें कोरोना के कारण उत्पन्न मानसिक दूरियों को दूर भगाना होगा। जब तक कॉविड है तब भी हमें जीना होगा अत: हमें कोरोना का मुकाबला करना है इससे डरना नहीं।