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जैविक खेती पर कृषि विज्ञान मेला – 2021
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा 6 मार्च, 2021 को विश्वविद्यालय स्तरीय कृषि विज्ञान मेला विषयक ‘जैविक खेती – जन जाति किसानों की समृद्धि के लिएÓ कृषि विज्ञान केन्द्र, बोरवट फार्म, बांसवाड़ा पर परम्परागत कृषि विकास एवं जैविक खेती पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा निर्धारित कोविड-19 गाइडलाईन के तहत् आयोजित किया गया।
मेले में विश्वविद्यालय के अधीनस्थ सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के जैविक खेती से जुड़े अभिनव एवं प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया। मेले के मुख्य अतिथि राज्य के जनजाति राज्य मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने अपने उद्बोधन में किसानों को जैविक खेती पर जोर देते हुए कहा कि खेती में बढ़ते रसायनों के दूष्प्रभाव के मद्देनजर जैविक खेती ही टिकाऊ खेती का एक मुख्य मार्ग है। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि ने उपस्थित वैज्ञानिकों को सुझाव दिया कि गौ-मूत्र को अन्य जैविक रसायनों के साथ मिलाकर रसायनों का एक विकल्प तैयार करें ताकि किसान अपने स्तर पर उपलब्ध संसाधनों में गौ-मूत्र के विभिन्न जैविक उत्पाद फसलों में कीट एवं बीमारी के प्रबन्धन में कारगर साबित होवें। साथ ही इस अवसर पर उन्होनें वैज्ञानिकों को बकरी के दूध को पाउडर के रूप में परिवर्तित कर विपणन द्वारा अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में अधिक आमदनी हेतु मुर्गीपालन, शहद उत्पादन, बकरी पालन, इत्यादि को अपनाते हुए आय में बढ़ोतरी हेतु सलाह दी। किसानों को मक्का के अच्छे दाम मिल सके इस हेतु किसानों ने इसका समर्थन मूल्य बढ़ाने हेतु मांग की जिस पर मंत्री जी ने किसानों को आश्वासन देते हुए कहा कि इसके लिये वे उनकी मांग को आगे सरकार में प्रस्तुत करेगें। मेले के मुख्य समारोह में मंत्री जी ने जैविक खेती पर अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर द्वारा प्रकाशित तीन कृषक मित्र साहित्यों का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने ऑनलाईन करते हुए अपने उद्बोधन में किसानों को आगाह किया कि कोविड-19 में बचाव हेतु मास्क का प्रयोग अवश्य करें एवं सामाजिक दूरी का पूरा ध्यान रखें। इस अवसर पर उपस्थित कृषक समूदाय को अपने उद्बोधन में डॉ. राठौड़ ने रासायनिक खादों एवं दवाओं को कम करने की सलाह देते हुए मृदा स्वास्थ्य एवं मानव स्वास्थ्य की सूरक्षा हेतु जैविक खेती को अपनाने की बात कही। साथ ही उन्होनें उपस्थित किसान समूदाय को उर्वरक उपयोग दक्षता को बढ़ाने की वकालत की ताकि उर्वरकों के कम उपयोग से ही फसल की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकें।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रबन्धन मण्डल के सदस्य विष्णु पारीक ने किसानों को जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर विशेष बल देते हुए कहा कि किसान पानी का सद्उपयोग करें एवं उसे ज्यादा क्षेत्र में उपयोग करना ही समझदारी होगी। मेले के मुख्य समारोह में क्षेत्रिय निदेशक अनुसंधान, डॉ. प्रमोद रोकडिय़ा ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए इस क्षेत्र की अनुसंधान परियोजनाओं की संक्षिप्त जानकारी दी। निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सम्पत लाल मून्दड़ा ने अपने उद्बोधन में बताया कि इस मेले में विश्वविद्यालय के अधिनस्थ 7 जिलों डूंगरपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, चित्तौडग़ढ़, प्रतापगढ़, राजसमन्द एवं उदयपुर जिलों के 9 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत् कार्य कर रहे सीमित किसानों एवं कृषि में अन्य नवाचारों पर काम कर रहे चयनित एवं प्रगतिशील कृषकों को राज्य सरकार द्वारा तय कोविड-19 गाइडलाईन के तहत् आमंत्रित किया गया ताकि ये किसान जैविक खेती तकनीकी को विभिन्न जिलों के किसानों में विस्तार से चालू कर सकें।
निदेशक अनुसंधान, डॉ. एस.के. शर्मा ने विश्वविद्यालय में जैविक खेती पर चल रही योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने जैविक खेती पर चल रही 100 अधिक तकनीकीयां प्रतिवर्ष किसानों की सेवा में प्रस्तुत की है जिसे किसान कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं अनुसंधान केन्द्रों पर आकर देखकर एवं सीखकर लाभान्वित हो सकते है। उन्होंने अपने उद्बोधन में किसानों को बाजार व्यवस्था एवं प्रसंस्करण पर ध्यान देते हुए किसान उत्पादक संगठन की जानकारी भी किसानों को दी।
इस अवसर पर कृषक वैज्ञानिक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें जैविक खेती से सम्बन्धित विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. आर.ए. कौशिक, डॉ. के.डी. आमेटा, डॉ. अमित त्रिवेदी, डॉ. रोशन चैधरी, डॉ. हरी सिंह, डॉ. आर.एल. सोनी आदि वैज्ञानिकों ने भी अनेकों जानकारियां दी। मुख्य समारोह के पूर्व मुख्य अतिथि ने विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, नाबार्ड, एन.एम. सतगुरू, रिलायन्स फाउन्डेशन, वाघधारा, न्यू लाईफ ऑग्रेनिक आदि संस्थाओं ने जैविक खेती से सम्बन्धित विभिन्न प्रदर्शनियों का अवलोकन कर सम्बन्धित अधिकारियों एवं कर्मचारियों से संवाद किया एवं जानकारी हासिल की।
इस अवसर पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 9 कृषि विज्ञान केन्द्रों के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी, स्वयंसेवी संस्थाओं के अधिकारी एवं अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने विभिन्न जिलों के किसानों को जैविक खेती में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु सम्मानित किया। कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के तहत् छात्राओं ने जैविक खेती पर एक लघु नाटिका का मंचन भी किया। वरिष्ठ तकनीकी सहायक डॉ. गोपाल लाल कोठारी एवं तकनीकी सहायक, श्रीमती रश्मि दवे, ने किसानों को प्रदर्शनी एवं प्रक्षेत्रों का भ्रमण भी कराया। कार्यक्रम के अन्त में डॉ. बी.एस. भाटी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र, बांसवाड़ा ने सभी किसानों एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लतिका व्यास, आचार्य, प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने किया।