शहीद की प्रतिमा को बांधती है बहनें हर साल राखी

 शहीद की प्रतिमा को बांधती है बहनें हर साल राखी

शाहपुरा (जयपुर), विजयपाल सैनी।
अक्सर हम जिंदगी के साथ तो बहुत से रिश्ते निभाते हैं लेकिन मौत के बाद सब पीछे छूट जाता है। पर कभी ऐसा भी होता है, जब भावनाओं के आगे तमाम बंदिशें बेमानी साबित हो जाती हैं। कुछ ऐसी ही बहनें हैं जो अपने भाई की शहादत के बाद भी पिछले कई सालों से उनकी कलाई पर रक्षाबंधन पर राखी बांध रही हैं। वह अपनी ससुराल विराटनगर कोलाकाबास, कंवरपुरा से 50 किमी दूर रामपुरा सिर्फ इसलिए आती हैं कि उनके शहीद भाई की कलाई सूनी न रह जाए।
कोबरा बटालियन के शहीद मुकेश कुमार बुनकर झारखंड में पदस्थापित 24 सितंबर 2012 को नक्सलियों से लड़ते हुए शहीद हो गए। अपने छोटे भाई को खोने के बाद बहन हंसादेवी, गोठी देवी, बबलीदेवी व महीमा देवी आज भी उसे अपने नजदीक ही मानती हैं। रामपुरा में स्थापित भाई की प्रतिमा में उसकी कलाई पर हर साल राखी बांध रही हैं। वे रक्षाबंधन ही नहीं बल्कि भैयादूज, दीपावली, होली जैसे सभी त्योहार प्रतिमा के साथ आकर मनाती हैं। शहीद भाई के प्रति बहनों के ऐसे लगाव को देख सभी के आंखों से आंसू छलक उठते हैं। बहनों ने बताया कि प्रतिमा के पास आने पर आज भी उनके करीब होने का अहसास होता है।

मेरे भाई की वीर गति पर हमें गर्व है

भाई की यादों को याद करते हुए अपने भाई के साथ बिताए पलों को याद कर बहनों के आंसू छलक आए। बहनों ने बताया कि हम सभी भाई बहन जब छोटे थे, आपस में मिलजुल कर रहते थे। मैं बड़ी जरूर थी लेकिन मेरा भाई वह फर्ज अदा करता था। वह हमसे छोटा था इसलिए भैयादूज में हम उसे उपहार देती थी। आज उसकी कलाई पर राखी सजाती हूं लेकिन उपहार नहीं दे पाती इस बात का गम रहता है। बहनों ने बताया कि भाई की कमी हमेशा महसूस होती है लेकिन गर्व होता है। उसने देश की रक्षा करते हुए वीर गति हासिल की है।

आज भी विभिन्न समस्याओं से परेशान हैं शहीद परिवार, शीघ्र निस्तारण की मांग

शहीद पिता रामसहाय बुनकर, सामाजिक कार्यकर्ता पूरणमल बुनकर ने बताया कि शहीद मुकेश कुमार बुनकर के नाम से विद्यालय नामांकरण, फर्जी सैनिक द्वारा हजारों रुपए व मूल दस्तावेजों को धोखाधड़ी कर ले जाने के मामले में पुलिस कार्यवाही, निशुल्क रेल यात्रा पास जारी करने, शहीद पार्क की घोषणा, पेट्रोल पंप आवंटन, शहीद स्मृति स्थल का पट्टा जारी करने आदि विभिन्न समस्याओं के शीघ्र निस्तारण की मांग की।
इस दौरान शहीद पिता रामसहाय बुनकर, वीरांगना बिना देवी, पुत्र ब्रजेश कुमार भाई विकास, बाबू लाल, बहन हंसा देवी, बबली देवी, गोठी देवी, किरण देवी, बेटी मोनिका, ममता, ऋषिका परिवारजनों सहित ग्रामीण उपस्थित थे।

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

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