डाक विभाग कॉलोनियों में जाकर खोल रहा है सुकन्या समृद्धि खाते
जगदीश प्रजापत राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अधीन कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौडग़ढ़ से जुड़े कृषक जगदीश चन्द्र प्रजापत को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रतिशिष्ट जोन द्वितीय हेतु ‘जगजीवन राम अभिनवÓ कृषक पुरूस्कार प्रदान किया गया है।
उल्लेखनीय है कि उक्त पुरूस्कार देश भर के 11 जोन में हर जोन के एक कृषक को दिया जाता है। प्रजापत को यह पुरूस्कार जोन द्वितीय के 61 कृषि विज्ञान केन्द्रों में से अकेले को मिला है। उक्त पुरूस्कार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के 92 वें स्थापना दिवस पर ऑनलाइन दिया गया। ऑनलाइन समारोह में कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, कृषि एवं कृषक कल्याण राज्य मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला, कृषि एवं कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा एवं परिषद् के अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
प्रजापत को यह पुरूस्कार महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में मिला है। प्रजापत ने उक्त पुरूस्कार मिलने पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ का सहद्रय आभार जताया साथ ही प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एस.एल. मून्दड़ा का भी आभार जताया। प्रजापत को यह पुरूस्कार विगत 5 वर्षों में कृषि एवं उद्यानिकी के क्षैत्र में नवाचार करने के उपलक्ष्य में दिया गया। प्रजापत नेे कृषि उद्यानिकी क्षैत्र में विगत 5 वर्षो में सफलता के नये आयाम स्थापित किये हैं। पुरूस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र एवं नगद राशि 50,000/- रूपये दिये जायेगें।
चित्तौडग़ढ़ जिले की निम्बाहेड़ा तहसील के छोटे से गांव बांगरेड़ा मामादेव के साधारण परिवार में जन्मे प्रजापत का परिवार वर्ष 2013 तक परम्परागत खेती करता था। जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में कोई उठाव नहीं आया। वर्ष 2013 के पश्चात प्रजापत महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के वैज्ञानिकों एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौडग़ढ़ के सम्पर्क में आये तथा विभिन्न प्रशिक्षणों में हिस्सा लिया एवं तकनीकी जानकारी प्राप्त की। उसके पश्चात प्रजापत ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। प्रजापत ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की सलाह पर सफेद मूसली की खेती आरम्भ करने की सोची परन्तु बीज का मूल्य अधिक होने के कारण समीपवर्ती मध्यप्रदेश के वन क्षैत्र से सफेद मूसली का बीज इकटठा किया एवं बीज का गुणन करते हुए 1.5 हैक्टर क्षैत्रफल में सफेद मूसली की खेती करने लगे।
प्रजापत को देखकर आसपास के गांवों में 50 कृषकों ने भी सफेद मूसली की खेती करना प्रारम्भ किया। सफेद मूसली के अतिरिक्त जिले में प्रथम बार स्ट्राबेरी की खेती प्रारम्भ की जिससे प्रेरित होकर आज लगभग 15 कृषक स्ट्राबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। 8 वीं पास प्रजापत ने वैज्ञानिकों के सहयोग एवं सलाह से सफेद मूसली एवं स्ट्राबेरी के अलावा खेती के कई आयाम स्थापित किये जिनमें प्याज बीज उत्पादन, लहुसन उत्पादन, पॉलीहाउस स्थापना, पेक हाउस स्थापना संतरा के बगीचे में लहुसन का अंतराशस्यन, वैज्ञानिक डेयरी फार्म एवं सबसे खास सफेद मूसली छीलने की मशीन जिससे मूसली छिलने में श्रम एवं लागत की कमी के साथ साथ छोटी मूसली का अपव्यय रूका।
प्रजापत को जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरूस्कारों से सम्मानित किया गया जिसमें मुख्य रूप से आत्मा का राज्य स्तरीय पुरूस्कार, वाइबे्रन्ट गुजरात पुरूस्कार, जी न्यूज का राष्ट्रीय पुरूस्कार एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के राज्य स्तरीय किसान मेले के पुरूस्कार हैं।
प्रजापत के फार्म पर राज्य एवं देश के कई वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने भ्रमण कर प्रजापत की प्रशंसा की है। प्रजापत के इन्हीं अभिनव नवाचारों से प्रेरित होकर चित्तौडग़ढ़ जिले के एवं समीपवर्ती मध्यप्रदेश के कई कृषकों ने प्रजापत के नवाचारों को अपनाया है।