डाक विभाग कॉलोनियों में जाकर खोल रहा है सुकन्या समृद्धि खाते
सियासी नियुक्तियों की सुगबुगाहट, कतार में कई बड़े दिग्गज
जयपुर। राज्य के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने पीसीसी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, चुनावों में जिन कार्यकर्ताओं ने पसीना बहाया उन्हें सरकार में तवज्जो मिलनी ही चाहिए। राज्य सभा चुनावों के बाद कांग्रेस नेता राजनीतिक नियुक्तियों की बाट जोह रहे हैं।
मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बयानों ने सियासी नियुक्तियों के बंद पडे चैप्टर को फिर खोल दिया। सचिन पायलट ने कहा कि कार्यकर्ताओं को सरकार में मान सम्मान मिलना चाहिए और वे इस बात के सदैव पक्ष में रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि राजनीतिक नियुक्ति एक सतत प्रक्रिया है।
योग्य नेताओं को मिले अवसर
जानकारों की मानें तो सरकार और संगठन दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि राजनीतिक नियुक्तियों को सोच समझकर किया जाये और योग्य नेताओं को अवसर प्रदान किया जाये। माना जा रहा है कि, शीर्ष नेतृत्व ने सूची तैयार करने का कार्य शुरु कर दिया है और संगठन भी इन कार्यो में जुटा है। जातीय और क्षेत्रीय समीकरण क्या रहेंगे इसी पर सबकी नजरें रहेगी।
जयपुर से लेकर यूआईटी में सियासी नियुक्तियां होनी हैं। हजारों की संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को पद दिये जाने हैं। कुछ नियुक्तियों को संवैधानिक स्तर पर पूरा किया जाना जरुरी है वो भी समयबद्ध रुप से। राज्य की कांग्रेस में कई दिग्गज ऐसे हैं जिन्हें राजनीतिक तौर पर कांग्रेस सरकार में स्थापित करना बेहद आवश्यक हो गया है।
घनश्याम तिवाड़ी, बीना काक, प्रद्युम्न सिंह, रामेश्वर डूडी, गिरिजा व्यास, रघुवीर सिंह मीना, मांगी लाल गरासिया, सुभाष महरिया, डॉ चंद्रभान, हरिमोहन शर्मा, राजीव अरोड़ा, राजकुमार रिणवां जैसे दिग्गजों को सियासी नियुक्ति मिल सकती है। किसान आयोग, हाउसिंग बोर्ड, क्रञ्जष्ठष्ट, बीज निगम, एससी आयोग, एस टी आयोग, महिला आयोग, देवनारायण बोर्ड, खादी आयोग, देवस्थान बोर्ड, अधिनस्थ सेवा चयन बोर्ड, सिंधी अकादमी, केशकला बोर्ड, हिन्दी अकादमी, यूथ बोर्ड, क्रीड़ा परिषद, परशुराम बोर्ड, माटी कला बोर्ड समेत विभिन्न यूआईटी में नियुक्तियां होनी हैं।
सियासी नियुक्तियों की कतार में कांग्रेस के दिग्गज
रामेश्वर डूडी, प्रद्युम्न सिंह, गिरिजा व्यास, घनश्याम तिवाड़ी, सुरेन्द्र गोयल, मानवेन्द्र सिंह, राजकुमार रिणवां, डॉ. चंद्रभान, डॉ. सहदेव चौधरी, राजीव अरोड़ा, रघुवीर मीना, दुरु मियां, अश्क अली टाक, राजेन्द्र चौधरी, सईद सऊदी, पुखराज पाराशर, रणदीप धनखड़, धर्मेन्द्र सिंह राठौड़, संजय गुर्जर, शिवचरण माली, बद्री जाखड़, रेहाना रियाज, महेश शर्मा, राजेश चौधरी, मुमताज मसीह, ज्योति खंडेलवाल, अर्चना शर्मा, सुशील शर्मा, रुक्षमणी सिंह, राजेन्द्र सिंह सोलंकी, रामेश्वर दाधीच, सुनील परिहार, दिनेश खोडनिया, रतन देवासी, सीताराम लाम्बा, अमित पूनिया, घनश्याम मेहर, मकबूल मंडेलिया, सलावत खान, सुरेश चौधरी, सुरेश मिश्रा, सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत, शंकर यादव, रामचंद्र सराधना, करण सिंह राठौड़, पंकज मेहता, हरिमोहन शर्मा, श्रीगोपाल बाहेती, ललित भाटी, रामचंद्र चौधरी, कैलाश चंद मीना, एस एन सिंह,पूर्व आईएएस, सुनील पारवानी, शोभा डूडी, वीरेन्द्र वैष्णव, आर सी शाह, कृष्ण मुरारी गंगावत, सुनीता भाटी तथा महेन्द्र बरजोट सहित कई अन्य लोग सियासी नियुक्तियों की कतार में हैं।
दिल्ली की भूमिका रहेगी अहम
पिछले गहलोत राज में कांग्रेस के कई दिग्गज ऐसे रहे जिन्हें 1 साल से भी कम वक्त में बोर्ड और आयोग अध्यक्ष का पद मिला। बहरहाल ऐसा माना जा रहा है कि राजनीतिक नियुक्तियों में दिल्ली की भूमिका अहम रहेगी। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे कह चुके हैं कि ये सतत प्रक्रिया है। नियुक्तियां पारदर्शिता पूर्ण और योग्यता के आधार पर हो इसका ध्यान आलाकमान की प्राथमिकता में रहेगा। सरकार और पार्टी मिलकर इस कोशिश में हैं कि सियासी नियुक्तियों का लाभ उस परिपेक्ष्य में मिले जिससे आगामी निकाय और पंचायत चुनावों में कांग्रेस को लाभ मिल सके।