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12 वीं पास युवा बीपीओ में बना सकते हैं शानदार करियर
- करियर विशेष
- 05-12-2020
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बीपीओ अर्थात बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग एक ऐसी वर्क फील्ड है, जिसने लाखों लोगों को जॉब्स मुहैया करवाई है और भविष्य में भी इस इस फील्ड में काफी आशाजनक संभावनाएं हैं।
आखिर यह बीपीओ क्या है?
बीपीओ अर्थात बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग के माध्यम से किसी बीपीओ कंपनी में थर्ड-पार्टी प्रोवाइडर को नॉन-प्राइमरी बिजनेस एक्टिविटीज उपलब्ध करवाई जाती है। देश-दुनिया की कुछ प्रमुख बीपीओ सर्विसेज में ह्यूमन रिसोर्स (एचआर), एकाउंटिंग और कस्टमर/ काल सेंटर रिलेशन्स और पे-रोल सर्विसेज शामिल हैं। दुनिया भर में क्चक्कह्र को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एनेबल्ड सर्विसेज (ढ्ढञ्जश्वस्) के नाम से भी जाना जाता है।
इस फील्ड में 12वीं पास करके स्टूडेंट्स शानदार करियर शुरू कर सकते हैं। हमारे देश में ज्यादा समयावधि के लिए भी बीपीओ इंडस्ट्री में जॉब की बहुत आशाजनक संभावनाएं नजर आ रही हैं। बीपीओ के कारोबार के संबंध में हमारे देश के बारे में नैस्काम की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टॉप 7 मेट्रो सिटीज के साथ-साथ 50 ऐसे शहर हैं, जो ढ्ढञ्ज-क्चक्कह्र के फ्यूचर हब बन सकते हैं। ढ्ढञ्ज-क्चक्कह्र के इन नए केंद्रों में भारत के रांची, रायपुर, जयपुर, लखनऊ, नागपुर, अहमदाबाद, इलाहाबाद, पटना, शिमला, वाराणसी, श्रीनगर, लुधियाना, गोवा और सूरत जैसे शहर शामिल हैं।
बीपीओ जॉब्स का यंग इंडियन्स के भावी करियर में महत्व
केवल हमारे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी यंगस्टर्स के लिए अपने कंप्यूटर और कम्युनिकेशन स्किल्स को निखारने के लिए बीपीओ जॉब्स एक बेहतरीन जरिया है। किसी बीपीओ में कुछ समय तक जॉब करने से निश्चित रूप से भविष्य में अपनी करियर फील्ड में फायदा मिलता है।
बेहतरीन करियर ऑप्शन
दुनिया-भर में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, ठीक वैसे-वैसे ही आउटसोर्सिंग मार्केट भी प्रगतिशील है। आजकल हमारे देश और विदेशों में लाखों यंगस्टर्स बीपीओ कंपनियों में काम कर रहे हैं। किसी बीपीओ कंपनी में काम करते हुए आप अपने स्किल्स को लगातार सुधार सकते हैं और ज्यादा पॉजिटिव, प्रोडक्टिव और क्रिएटिव बन सकते हैं क्योंकि आपको तरह-तरह के लोगों से विभिन्न मसलों के सिलसिले में रोजाना व्यवहार करना पड़ता है और आप विभिन्न इश्यूज को सुलझाने के स्किल्स कम उम्र में ही सीख लेते हैं।
बीपीओ जॉब के लिए जरुरी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
इस क्षेत्र में अपना करियर शुरू करने के लिए 12वीं पास होने के साथ कैंडिडेट्स के पास बढिय़ा कम्युनिकेशन स्किल होनी चाहिए। इंटरनेशनल लेवल पर इस फील्ड में सफलता के लिए सबसे जरूरी है – धाराप्रवाह इंग्लिश बोलने की स्किल। इसके लिए तमाम इंस्टीट्यूट दो से तीन महीने का ट्रेनिंग प्रोग्राम भी कंडक्ट करते हैं। वैसे हिंदी बोलने वालों के लिए भी डोमेस्टिक कॉल सेंटर्स में करियर के अच्छे अवसर हैं।
बीपीओ जॉब्स के लिए एज लिमिट
भारत में किसी बीपीओ में जॉब करने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है और अधिकतम 58 -60 वर्ष तक भी कोई व्यक्ति किसी बीपीओ कंपनी में जॉब ज्वाइन कर सकता है।
बीपीओ जॉब इंटरव्यू में आपसे पूछे जा सकते हैं ये प्रश्न
- मुझे अपने बारे में कुछ बताइये?
- बीपीओ क्या है और यह कैसे काम करता है?
- क्या आप नाईट-शिफ्ट में काम कर सकते हैं?
- ऑफशोर आउटसोर्सिंग क्या है?
- इनबाउंड और आउटबाउंड कॉल सेंटर्स के बीच क्या अंतर है?
- अगले 5 वर्ष में आप खुद को कहां देखते हैं?
- आपको क्यों लगता है कि बीपीओ आपके लिए एक सही करियर ऑप्शन है?
- फोन पर कस्टमर्स को अपनी बात समझाना आपके लिए मुश्किल काम तो नहीं है?
- बीपीओ जॉब्स के लिए जरुरी वर्किंग स्किल्स
- फुल नॉलेज ऑफ वर्क फील्ड और कस्टमर्स क्वेरीज
- अपनी फील्ड की व्यापक जानकारी होनी चाहिए।
- प्रेशर में शांतिपूर्वक काम करते रहने की क्षमता।
- बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल्स।
- बातचीत का अंदाज दोस्ताना हो।
- काम में स्पीड के साथ – साथ फ्लेक्सिबिलिटी हो।
- ऑर्गेनाइजेशन और अपने काम के संबंध में पॉजिटिव रवैया होना चाहिए।
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भारत में बीपीओ जॉब्स में उपलब्ध हैं करियर ऑप्शन्स
- भारत में आजकल बीपीओ सेक्टर में करियर के बहुत सारे ऑप्शन्स उपलब्ध हैं। अपनी रुचि और योग्यता के मुताबिक आप निम्नलिखित में से किसी एक करियर ऑप्शन को चुन सकते हैं:
कस्टमर सपोर्ट सर्विस: कस्टमर सपोर्ट सर्विस में कार्य कर रहे पेशेवर कस्टमर से जुड़ी चीजों और उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों आदि का जवाब देते हैं। यह काम कई चैनलों के माध्यम से होता है जैसे कि, टेलीफोन कॉलिंग, ई-मेल आदि।
टेक्निकल सपोर्ट सर्विस: इस फील्ड के पेशेवर टेक्निकल सपोर्ट, जैसे-ओईएम कस्टमर सॉल्युशन, कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर मैन्युफैक्चरिंग आदि के लिए टेक्निकल सपोर्ट मुहैया कराते हैं।
टेलीमार्केटिंग सर्विस: टेलिमार्केटिंग और टेलिसेल्स आउटसोर्सिंग सर्विस की फील्ड में काम करने वाले लोग टारगेट कस्टमर से बातचीत कर प्रोडक्ट की सेलिंग की दिशा में काम करते हैं।
आईटी सर्विस: इस सर्विस से जुड़े लोग तकनीकी समस्या (डेक्सटॉप, नोटबुक, कनेक्टिविटी, आईटी ऑपरेशन इश्यू आदि) को सुलझाने का काम करते हैं।
डाटा एंट्री/ प्रोसेसिंग सर्विस: ये पेशेवर बिजनेस ट्रांजिक्शन डाटा एंट्री (सेल्स, परचेज, पेरोल), ई-बुक की डाटा एंट्री, डाटा कलेक्शन, पेपर/ बुक से डाटा एंट्री आदि जैसे काम करते हैं। इसके अलावा डाटा को अलग-अलग फॉर्मेट में बदलना होता है जैसे कि, पेज मेकर से पीडीएफ, एमएस वर्ड से एचटीएमएल, टेक्स्ट से वर्ड फॉर्मेट आदि।
अन्य फील्ड्स: अकाउंटिंग सर्विस, प्रोसेसिंग सर्विस, इंटरनेट, ऑनलाइन, वेब रिसर्च में भी इस फील्ड से संबद्ध जॉब के काफी अवसर हैं। -
यंग स्टर्स के लिए बीपीओ जॉब्स में उपलब्ध हैं बेहतरीन करियर ऑफर्स
- हमारे देश में कुछ समय पहले तक बीपीओ जॉब्स को पार्टटाइम के रूप में ही अपनाया जाता था लेकिन अच्छी सैलरी और आगे बढऩे के चांसेस की वजह से बीपीओ जॉब्स को फुलटाइम करियर के रूप में भी अपनाया जा रहा है। इंटरनेशनल कॉल सेंटर्स ही नहीं बल्कि घरेलू कॉल सेंटर्स भी आजकल लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया करवा रहे हैं। बड़ी कंपनियों में जेनपेक्ट, एजिस, विप्रो क्चक्कह्र, एचसीएल क्चक्कह्र, इंफोसिस, टीसीएस आदि इस फील्ड में हर साल रोजगार के काफी अवसर पेश करती हैं।
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बीपीओ जॉब की कुछ प्रमुख चुनौतियां
- रोल कॉन्फ्लिक्ट अर्थात एक-साथ कई जॉब प्रोफाइल्स का काम संभालना।
- परफॉरमेंस एक्सपेक्टेशन्स और इवैल्यूएशन्स के बीच विसंगति।
- जॉब प्रोफाइल अस्पष्ट होना।
- उपयुक्त रिसोर्सेज की कमी।
- जरूरत से ज्यादा निगरानी।
- अत्यधिक वर्कलोड।
- सोशल सपोर्ट में कमी।
- कंट्रोल में कमी।
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बीपीओ में कस्टमर सर्विस भी होती है कुछ खास
- किसी बीपीओ में कस्टमर सर्विस के तहत विभिन्न प्रोडक्ट्स या सर्विसेज के संबंध में कस्टमर सेटिसफेक्शन शामिल होता है। आमतौर पर, कस्टमर सर्विस किसी कस्टमर के साथ ट्रांस्जेक्शन के दौरान अर्थात किसी प्रोडक्ट की सेल या किसी आइटम के रिटर्न के समय देखी जा सकती है।
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कस्टमर सर्विस में सुधार लाने के खास टिप्स
- अपने कस्टमर सर्विस स्किल्स को निखारें।
- प्रत्येक टचपॉइंट पर पूरा ध्यान दें।
- अपने कस्टमर इंटरैक्शन में सुधार करें।
- अपनी कस्टमर सर्विस स्ट्रेटेजी में निरंतर सुधार करें।
- सुनिश्चित करें कि आपके प्रतिनिधि व्यस्त हैं।
- फीडबैक देने के लिए अपने कस्टमर्स को एक तरीका पेश करें।
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बीपीओ की वॉइस और नॉन-वॉइस प्रोसेस क्या है ?
- वॉइस प्रोसेस के तहत क्लाइंट आउटबाउंड टेलीमार्केटिंग का इस्तेमाल करते हैं और नॉन-वॉइस प्रोसेस के तहत क्लाइंट ईमेल मार्केटिंग, एसईओ, पीपीसी और ऐसे अन्य तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।