सफलता की सीढ़ी… बुद्धिमान से ज्यादा प्रतिभावान को मिलती है सफलता

कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि, सभी व्यक्ति एक ही रूप में जन्म लेते हैं, सबका मस्तिष्क भी एक समान विकसित होता है, बच्चे अपनी उम्र के मुताबिक ही बड़े होते हैं – शारीरिक और मानसिक तौर पर कुछ अपवादों को छोड़कर, क्या कभी आपने गौर किया है कि हम में से ही कोई एक सफलता के नए आयाम छूता है और अधिकांश अपने जीवन को संघर्ष के साथ जीना सीख लेते हैं। उन्हें वांछित सफलता प्राप्त नहीं होती। सफलता की सीढ़ी आपके उस पीड़ादायक मर्म को समझती है, कई प्रतियोगियों ने अपने सहपाठियों के साथ किसी प्रतियोगी परीक्षा के तैयारी की होगी। आप वार्षिक परीक्षा में सदैव अव्वल आए होंगे, सहपाठियों से सदैव अधिक अंक प्राप्त किए होंगे, आपका डिवीजन भी अव्वल ही आया होगा, स्कूल या कॉलेज समय में उनसे ज्यादा सम्मान और शाबाशी प्राप्त की होगी, आपके सहपाठी कभी अपने अध्यापकों और प्रोफेसर की सूची में नहीं आते होंगे, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में आपके आत्मविश्वास को आपके स्कूल व कॉलेज के अंक बढ़ाते होंगे, आपको आपकी तैयारी पर पूर्ण विश्वास रहा होगा, परंतु प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम विपरीत प्राप्त हुआ होगा। आपकी कक्षा के सहपाठी आज तक जो पीछे थे आज सफलता प्राप्त कर आपसे आगे निकल गए हैं। आप आत्म विश्लेषण करते-करते थक जाते हैं पर आप किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाते हंै, आप अपनी किस्मत पर दोषारोपण करने लगते हैं, समय बुरा चल रहा है यह सोच कर फिर से रणनीति बनाते हैं या फिर आप डिप्रेशन में चले जाते हैं, क्रोध, ईष्र्या व चिढ़ जैसे अनचाहे अनावश्यक भाव आपके जीवन में प्रवेश करने लगते हैं। सफलता की सीढ़ी आपको यह स्पष्ट करना चाहती है कि स्कूल कॉलेज की वार्षिक परीक्षा और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में बड़ा अंतर होता है, जो प्रतियोगी इस अंतर को समझ लेता है वह सफलता के मार्ग पर शेष प्रतियोगी से आगे निकल जाता है। इससे पहले कि सफलता की सीढ़ी आपको प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के बारे में विस्तार से चर्चा करे आपको कॉलेज व स्कूल की वार्षिक परीक्षा की तैयारी और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी इस पर प्रकाश डालना आवश्यक है। कॉलेज, स्कूल के एग्जाम की तैयारी का पैमाना बुद्धिमता निर्धारित करती है। चलिए सरल शब्दों में इसे समझते हैं। वार्षिक परीक्षा साल में एक बार होती है और पांच विषय पढऩे के लिए 1 वर्ष काफी अधिक समय होता है, आप इन विषयों के टॉपिक को काफी गहराई से पढ़ते हैं। टीचर और प्रोफेसर द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब अपनी बुद्धिमता से देते हैं और अपने सहपाठियों के बीच अपने रटे-रटाए ज्ञान का प्रदर्शन करते हैं, आपके ज्ञान के अनुरूप परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं, वही रटा-रटाया ज्ञान आप अपनी उत्तर पुस्तिका में उड़ेल आते हैं, रिपोर्ट के द्वारा आप अपने सहपाठियों व शिक्षक से वाहवाही लूटते हैं परंतु आप इस प्रकार की बुद्धिमता में जाने-अनजाने अनेक अनावश्यक ज्ञान, सूचना भी ग्रहण करते चले जाते हैं, यदि शांत और एकांत में बैठकर सोचने का मौका मिले तो बैठकर अवश्य सोचें कि, ग्रहण की सूचना एवं ज्ञान में से कितना अनावश्यक है, हम हमारी बुद्धिमता से हमारे दिमाग में इतनी इंफॉर्मेशन उसकी आवश्यकता, अनावश्यकता देखे बगैर ही एकत्रित करते चले आ रहे हैं जो हमारे आसपास के लोगों को प्रभावित करने का उत्तम औजार है परंतु यह समझना भी आवश्यक है कि मानव मस्तिष्क बड़ा जिज्ञासु होता है, उसे सभी प्रकार का ज्ञान, सूचना अपनी ओर आकर्षित करता है। वह जिज्ञासा के समुद्र में गोते लगाकर तल से सूचना व ज्ञान का भंडार खोज लाता है। चाहे उसकी आवश्यकता हो या ना हो। संसार में सभी चीजों का एक मूल्य होता है, इसे समय, शक्ति व जिज्ञासा के परिपेक्ष में समझें तो व्यक्ति उसका बहुमूल्य समय और शक्ति खर्च किए बगैर जिज्ञासा शांत नहीं कर सकता। चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं। पहले घर का राशन पंसारी की दुकान से लिस्ट बनाकर लाया जाता था, तब घर के स्टोर का डब्बा-डब्बा देखा जाता था… चावल, चीनी, दाल की स्टोर में मात्रा के अनुसार राशन की वस्तु की मात्रा का निर्णय होता था यानि आवश्यकता अनावश्यकता को मद्देनजर रखकर स्टोर में स्टॉक किया जाता था। आज शॉपिंग मॉल, डिपार्टमेंटल स्टोर का जमाना है, एक ट्रॉली लेकर निकल पड़ो 4000-5000 स्क्वायर फीट के स्टोर में, चुंकि दिमाग जिज्ञासु है मानने वाला तो है नहीं अनायास आवश्यकता को ताक पर रखकर घर से बनाई लिस्ट से भटक कर कई वस्तु ऐसी भी खरीदने के लिए मजबूर कर देता है जिसकी आवश्यकता भी नहीं होती, वह अनावश्यक रूप से आपके स्टोर में रखी जगह घेरती हैं, रखी- रखी खराब और बाद में सड़ जाती हैं और उन्हें देख-देख कर आपका मन कुंठित होता है, डिपार्टमेंटल स्टोर के मालिक ने बुद्धि की नब्ज पकड़ ली है, वह जानता है कि मस्तिष्क जिज्ञासु है और वह उसकी जिज्ञासा शांत करने हेतु अनावश्यक वस्तु भी खरीद लेगा। आप अब समझ ही गए होंगे कि बुद्धिमता से किया काम लोगों में आपका प्रभाव तो छोड़ सकता है परंतु अनावश्यक सूचना का भंडारण कर देता है। इसी प्रकार की परिस्थिति मस्तिष्क की भी है। अनावश्यक सूचना व ज्ञान इसी प्रकार स्टोर है जिसकी आवश्यकता मस्तिष्क को नहीं है, जिसे प्राप्त करने के लिए आपने समय एवं शक्ति व्यर्थ की जिसे आप अकारण अपने मस्तिष्क में ढो रहे हैं जिस कारण आपकी बहुमूल्य शक्ति का व्यय हो रहा है, आप अपनी शक्ति और समय अनावश्यक सूचना एकत्र करने में लगा देते हैं जिससे आपको अनावश्यक हानि होती है।
चलिए अपने मूल विषय पर लौटते हैं सफलता की सीढ़ी आपके मन में आए उन प्रश्नों को पढ़ पा रही है कि प्रतियोगी परीक्षा है क्या? और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कैसे की जाए? यदि आप प्रतियोगी हैं तो आपके दिमाग में यह प्रश्न जरूर खलबली मचाना चाहिए कि यदि हमारी वार्षिक परीक्षा ली जाती है, उन परीक्षाओं में हमें उत्तीर्ण कर प्रथम, द्वितीय, तृतीय श्रेणी में विभाजित किया जाता है, हमारी बुद्धिमता का मापन तो वहीं हो जाता है फिर क्या आवश्यकता आन पड़ी कि प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की जाए। सरकारी, गैर सरकारी कंपनी, आए दिन इस प्रकार की प्रतियोगी परीक्षा आयोजित कर समय व धन क्यों व्यर्थ कर रही हैं, .क्क.स्.ष्ट, स्ह्लड्डह्लद्ग.क्क.स्.ष्ट आयोग क्यों बनी, पोस्ट पर चयन हेतु बुद्धिमता जो आप अपने वार्षिक परीक्षा के अंक तालिका से साबित कर चुके हैं पर्याप्त नहीं है, तो प्रश्न यह उठता है कि प्रतियोगी परीक्षा कराने का औचित्य क्या है? इस पोस्ट के चयन हेतु सरकारी गैर सरकारी संस्था बुद्धिमता के अतिरिक्त प्रतियोगी में और क्या गुण तलाश रही है? यदि हमें इस पहेली की कुंजी हाथ लग जाए तो कोई भी प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करना असंभव नहीं, यह वह मूल मंत्र, सिद्धांत है जिसकी प्राप्ति पर प्रतियोगी परीक्षा का चक्रव्यूह भेद पाना मुमकिन है। परीक्षा की आत्मा ‘प्रतिभावान व्यक्ति का चयन करनाÓ, में छिपी है। सरल शब्दों में कहूं तो प्रतियोगी परीक्षा ‘प्रतिभावान व्यक्तिÓ ( इंटेलीजेंट) के चयन की प्रक्रिया है, ना कि ‘बुद्धिमानÓ का। क्यों चौंक गए ना? आप में से अधिकतर के मस्तिष्क में प्रतिभावान व्यक्ति एवं बुद्धिमान व्यक्ति को एक ही रूप में परिभाषित किया होगा, है ना? परंतु इन दोनों व्यक्तित्व में बाल बराबर अंतर है। बुद्धिमान व्यक्ति सदैव मस्तिष्क से सोचता है और सदैव अपनी सूचना, ज्ञान बढ़ाने पर केंद्रित रहता है इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि, यह सूचना व ज्ञान उसके लिए आवश्यक है या नहीं। इसे वह अपनी बहुमूल्य शक्ति समय व्यर्थ कर प्राप्त करता है, इसके विपरीत प्रतिभावान व्यक्ति उसी शक्ति और समय का सदुपयोग कर लक्ष्य को प्राप्त करने में लगाता है। वह विषय वस्तु की आवश्यकता पर ध्यान देता है। यदि वह सूचना आवश्यक है, तो उसमें अपना पूरा समय और शक्ति झोंक देता है। प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर शब्द सीमा में देना होता है, जाहिर सी बात है यदि आप अपनी तैयारी बुद्धिमता के अनुरूप करेंगे आपका ज्ञान उस विषय के गूढ़ अर्थों सिद्धांतों को बड़ी गहराई से अध्ययन करने में लगेगा जो कि आप पूर्व में अपने कॉलेज व स्कूल की परीक्षा में करते आए हैं मार्कशीट जिसका प्रमाण है, वह गूढ़ सिद्धांत का ज्ञान आपको पूर्व से ही है अत: उसी बुद्धिमता की शैली को अपनाकर आप अपना बहुमूल्य समय एवं शक्ति व्यर्थ क्यों कर रहे हैं परंतु प्रतियोगी परीक्षा प्रतिभावान व्यक्ति का चयन है। वहीं प्रतिभावान व्यक्ति उसका अमूल्य समय एवं शक्ति उत्तर को शब्द- सीमा में सर्वश्रेष्ठ रूप से लिखने में लगाएगा ताकि उसे अपनी समय व शक्ति का वांछित परिणाम मिल सके। अत: वह आपसे अधिक अंक प्राप्त कर अपने लक्ष्य को सफलता पूर्वक प्राप्त कर लेगा। भले ही आपमें उससे अधिक सूचना और ज्ञान हो, आपने उससे ज्यादा परिश्रम किया हो, आपमें उससे ज्यादा कार्य क्षमता हो, सफलता और असफलता के बीच यह गुण शून्य है क्योंकि सफलता और असफलता के बीच कोई पायदान नहीं होता, सफल व्यक्ति सफल है असफल व्यक्ति असफल है। यह ध्रुव सत्य है कि सफल व्यक्ति से उसका कैलिबर नहीं पूछा जाता। यहां सीखने योग्य सिद्धांत यह है कि प्रतिभावान व्यक्ति के पास बुद्धिमान व्यक्ति से अधिक समय एवं शक्ति होती है जिसे वह बचाकर या समझदारी से उपयोग में लेकर बुद्धिमान व्यक्ति से विजय बढ़त बना लेता है, यहां एक बात गौर करने वाली और है कि प्रतिभावान व्यक्ति के पास बुद्धिमान व्यक्ति से सदैव ज्यादा समय एवं शक्ति होती है।
सफलता की सीढ़ी चाहती है आप आवश्यक व अनावश्यक ज्ञान के बीच अंतर करना सीखें, व्यर्थ समय और शक्ति अनावश्यक ज्ञान व सूचना एकत्र करने में ना लगाएं।
‘प्रतिभावान सफल व्यक्ति सदैव समय व शक्ति का समझदारी से सदुपयोग अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु केंद्रित रखता है।Ó

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

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