डाक विभाग कॉलोनियों में जाकर खोल रहा है सुकन्या समृद्धि खाते
वो दिन भी आएंगे
मुश्किलों का सफऱ है,
रास्ता वीरान है, नंगे पांव है,
एक नए युग की चाह है,
मन में आस है।
जिजीविषा जीवित है,
मानव जाति पीडि़त है।
हौंसलो की उड़ान है,
विजय की मन में आस है।
हार उसकी निश्चित है,
ये विधि का विधान है।
संभल ए मानस के मन,
यही प्रकृति का वरदान है।
जो आया है सो जाएगा भी
वो खुशियां फिर से आएगी,
मन में धीरज को धारण कर ,
आने वाले पड़ाव की पहचान कर।
कांटे है तो फूल भी बिछेगा
गम है तो खुशियां भी होगी
तू डगमग मत हो, ए मानस के मन।
वो लहरे भी आएगी,
वो बसंत भी आएगा,
वो हवा भी आएगी,
चारों और खुशियां भी छाएगी।
यही प्रकृति का वरदान है।।
प्रकाश टेलर (वरिष्ठ अध्यापक)
रा.उ.मा.वि.मादा (पाली)