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माइक्रोबॉयलाजी में बनाएं करियर
पिछले कुछ सालों से माइक्रोबॉयलाजी की डिमांड बढ़ी है। बड़ी संख्या में छात्र इस फील्ड में कोर्स करने की चाहत दिखा रहे हैं। इस फील्ड में करियर का सुनहरा मौका है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस फील्ड में करियर कैसे बनाया जाए, करियर का क्या स्कोप है, सैलरी कितनी मिलती है… माइक्रोबायॉलजी (सूक्ष्मजीव विज्ञान) माइक्रो ऑर्गैनिजम या सूक्ष्मजीव का अध्ययन है। सूक्ष्मजीव वे जीव हैं जो बहुत ही सूक्ष्म होते हैं जिसे हम अपनी नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं। जैसे बैक्टीरिया, वायरस और फंगी। सूक्ष्मजीव विज्ञान वास्तव में जीव विज्ञान की ही एक शाखा है जिसमें सूक्ष्मजीवों के व्यवहार, संरचना, इस्तेमाल और अस्तित्व का अध्ययन करना होता है।
संभावना
सूक्ष्मजीव विज्ञान का इस्तेमाल मेडिकल समेत कई फील्ड में होता है। जैसे फार्मेसी, मेडिसिन, क्लिनिकल रिसर्च, कृषि, डेयरी उद्योग, जल उद्योग, नैनो टेक्नॉलजी और केमिकल टेक्नॉलाजी।
क्या करना होता है?
सूक्ष्मजीव विज्ञान की फील्ड में महारत रखने वाले व्यक्ति को माइक्रोबायोलॉजिस्ट कहा जाता है। असल में वह वैज्ञानिक होता है जो उन सूक्ष्मजीवों और संक्रामक जीवों का अध्ययन करता है जिसको हम अपनी नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं। माइक्रोबायोलॉजिस्ट यह पता लगाता है कि हमारा खाना सुरक्षित है या नहीं। वह हरित तकनीक विकसित करने में अहम भूमिका निभाता है।
कोर्स और अवधि
इस फील्ड में कई बैचलर, मास्टर और पीएचडी कोर्सेज उपलब्ध हैं। आप बैचलर लेवल से डॉक्टोरल लेवल तक कोर्स कर सकते हैं। नीचे इस फील्ड के कुछ पॉप्युलर कोर्स की डीटेल्स दी गई है।
बैचलर कोर्स
- माइक्रोबॉयलाजी में बैचलर ऑफ साइंस
*अप्लाइड माइक्रोबॉयलाजी में बैचलर ऑफ साइंस
*इंडस्ट्रियल माइक्रोबॉयलाजी में बैचलर ऑफ साइंस
*फूड टेक्नॉलजी में बैचलर ऑफ साइंस
*क्लिनिकल माइक्रोबॉयलाजी में बैचलर ऑफ साइंस
मास्टर कोर्स
*माइक्रोबॉयलाजी में मास्टर ऑफ साइंस
*अप्लाइड माइक्रोबॉयलाजी में मास्टर ऑफ साइंस - मेडिकल माइक्रोबॉयलाजी में मास्टर ऑफ साइंस
*माइक्रोबियल जेनेटिक्स और बायोइन्फर्मेटिक्स में बैचलर ऑफ साइंस
माइक्रोबॉयलाजी में स्पेशलाइजेशन - अग्रीकल्चर माइक्रोबॉयलाजी
- इंडस्ट्रियल माइक्रोबॉयलाजी
- इवोल्यूशनरी माइक्रोबॉयलाजी
- नैनो माइक्रोबॉयलाजी
- सेलुलर माइक्रोबॉयलाजी
- सॉइल माइक्रोबॉयलाजी
- वेटरिनरी माइक्रोबॉयलाजी
- जेनेरेशन माइक्रोबॉयलाजी
- माइक्रोबियल
- वॉटर माइक्रोबॉयलाजी
- फार्मासूटिकल माइक्रोबॉयलाजी
- माइक्रोबियल जेनेटिक्स
- इनवायरनमेंटल माइक्रोबॉयलाजी
योग्यता
12वीं क्लास फिजिक्स, केमिस्ट्री और बॉयलाजी विषयों से करने के बाद बैचलर कोर्स कर सकते हैं। फिजिक्स, केमिस्ट्री और बॉयलाजी में 50 फीसदी नंबर होने पर कुछ कॉलेजों में दाखिला मिल जाता है। पीजी कोर्सों के लिए संबंधित फील्ड में बैचलर डिग्री जरूरी है। कुछ यूनिवर्सिटी छात्रों के दाखिले के लिए अपना खुद का टेस्ट लेती है।
कुछ खास कॉलेज - अमिटी यूनिवर्सिटी
- भारत यूनिवर्सिटी, चेन्नई
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय
- जिवाजी यूनिवर्सिटी, फैकल्टी ऑफ साइंसेज और फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज
- दिल्ली यूनिवर्सिटी
- क्रिस्चन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर
जॉब प्रोफाइल - रिसर्च असिस्टेंट
- फूड, इंडस्ट्रियल या इनवायरनमेंटल माइक्रोबायॉलजिस्ट्स
- क्वॉलिटी अश्योरेंस टेक्नॉलजिस्ट
- सेल्स या टेक्निकल रेप्रजेंटिटिव
- क्लिनिकल एंड वेटरिनरी माइक्रोबायॉलजिस्ट्स
- मेडिकल टेक्नॉलजिस्ट
- बायॉमेडिकल साइंटिस्ट
- क्लिनिकल रिसर्च असोसिएट
- माइक्रोबायॉलजिस्ट्स
- फार्माकोलोजिस्ट
- फूड टेक्नॉलजिस्ट
- साइंटिफिक लैबरेटरी टेक्निशियन
- फिजिशियन असोसिएट
- रिसर्च साइंटिस्ट (लाइफ साइंसेज)
किस फील्ड में मिलेगी नौकरी - फार्मासूटिकल इंडस्ट्री
- यूनिवर्सिटी
- लैबोरेटरी
- प्राइवेट हॉस्पिटल
- रिसर्च ऑर्गनाइजेशन
- इनवायरनमेंटल एजेंसी
- फूड इंडस्ट्री
- बेवरेज इंडस्ट्री
- केमिकल इंडस्ट्री
- अग्रीकल्चर डिपार्टमेंट
सैलरी
भारत में माइक्रोबायोलॉजिस्ट की शुरुआत सैलरी 2 से 3 लाख रुपये सालाना है। सरकारी या कॉर्पोरेट में नौकरी करने पर अच्छी सैलरी के साथ अन्य भत्ता और लाभ भी मिलता है। मास्टर या पीएचडी डिग्री के साथ अनुभव तो फिर काफी मोटा पैकेज मिलता है।