डाक विभाग कॉलोनियों में जाकर खोल रहा है सुकन्या समृद्धि खाते
क्या लॉकडाउन में मानवीय दृष्टिकोण को भूल जाना चाहिए ?
रामस्वरूप रावतसरे (शाहपुरा, जयपुर)
मो. 98285 32633
राजस्थान में लॉकडाउन के बीच देश की एजुकेशन सिटी कोटा के हजारों कोचिंग छात्रों लिए शुक्रवार का दिन राहत लेकर आया। हजारों छात्र घर जाना चाहते थे लेकिन सब कुछ बंद था। लॉकडाउन के चलते छात्र छात्राओं तथा उनके घर वालों की चिंता हर दिन बढ़ रही थी। यूपी सरकार ने बड़ा फैसला किया और करीब 250 बसें कोटा भेजीं, जिसके जरिए यूपी के करीब 7500 छात्र छात्राएं वापस अपने घरों को भेजे गए हैं।
बताया जा रहा है कि विभिन्न प्रदेशों के राजस्थान के कोटा में कोचिंग कर रहे छात्रों ने घर वापसी को लेकर पीएम को हजारों ट्वीट किए। राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री तक भी अपनी परेशानी को पहुंचाया। इसके बाद प्रयास शुरू हुए और रंग लाए। सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया और कोटा के हॉस्टलों में फंसे इन छात्र-छात्राओं को उनके होमटाउन ले जाने के लिए यूपी से करीब 250 बसें कोटा भेजीं और अब स्क्रीनिंग के बाद इन छात्रों को बसों में बिठा कर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लगभग भेज दिया गया है।
दरअसल, राजस्थान के कोटा में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। कोटा में देशभर के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए रहते हैं। कोटा में कोरोना वायरस फैलने की खबर आने के बाद इन छात्रों के लिए खतरा बढ़ गया था। मांग होने लगी थी कि छात्रों को वहां से निकाला जाए। कोटा के कोचिंग संस्थान भी लगातार कोशिश कर रहे थे कि छात्रों को उनके घर भेजा जाए क्योंकि लॉकडाउन में घर से दूर छात्रों का मनोबल कहीं न कहीं टूट रहा था। ऐसे में इस फैसले की जरूरत भी थी, मामले को तूल पकड़ता देख राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार इन छात्रों को यहां से जाने देने को तैयार हो गई।
सबसे पहले यूपी सरकार ने अपने यहां के छात्रों को निकालने का निर्णय लिया। अब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ भी इस पर विचार कर अपने राज्य के छात्रों की घर वापसी पर विचार कर रहे बताए जा रहे हैं। कोटा में फिलहाल करीब 30,000 स्टूडेंट्स हैं। जिनमें उत्तर प्रदेश के लगभग 7500, बिहार के करीब 6500, मध्य प्रदेश के 4000, झारखंड के 3000, हरियाणा के 2000, महाराष्ट्र के 2000, नार्थ ईस्ट के 1000 और पश्चिम बंगाल के लगभग 1000 स्टूडेंट्स के साथ कई अन्य क्षेत्रों के स्टूडेंट्स शामिल हैं।
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने यूपी सरकार के इस कदम की तारीफ की है। अशोक गहलोत ने कहा है कि अन्य राज्य सरकारों को भी यहां फंसे छात्रों को वापस ले जाने की पहल करनी चाहिए। अशोक गहलोत ने कहा कि कोटा में लॉकडाउन की वजह से फंसे छात्र छात्राएं दहशत में न आएं और न ही अवसाद की स्थिति से ग्रस्त हों। इसके लिए जरूरी है कि इन छात्रों को संबंधित राज्य सरकारें वापस बुलाएं।
जानकारी के अनुसार इस सम्बन्ध में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया कि क्या वे भी अपने यहां के छात्रों को लाने के लिए राजस्थान के कोटा बस भेजेंगे। इस पर सीएम नीतीश कुमार ने साफ शब्दों में कहा कि यह लॉकडाउन का माखौल उड़ाने वाला फैसला है। बस भेजने का फैसला पूरी तरह से लॉकडान के सिद्धांतों को धता बताने वाला है।
ऐसा भी जानकारी में आया है कि इस मसले पर बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने राजस्थान सरकार को पत्र भेजा है। जिसमें कहा है, कोटा से यूपी के छात्रों को निकलने देने का फैसला भानुमती का पिटारा खोलने जैसा है। यदि आप छात्रों को कोटा से निकलने की अनुमति देते हैं, तो आप किस आधार पर प्रवासी मजदूरों को वहां रुकने के लिए कह सकते हैं। इसलिए राजस्थान सरकार को चाहिए कि वह बसों को जारी की गई विशेष परमिट रद्द कर दे।
बिहार के मुख्यमंत्री का लॉकडाउन को लेकर निर्णय सही हो सकता है लेकिन जहां वायरल बीमारी की बजाय दहशत और अवसाद का डर अधिक हो वहां कानून की पालना के साथ साथ मानवीय दृष्टि कोण को भी देखना जरूरी है। जिसे यूपी और राजस्थान सरकारों ने बखूबी निभाया है और बाकी सरकारों को भी चाहिए कि वे भी इस मामले में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए निर्णय लें। हां, यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि, जिस प्रकार कोटा से छात्रों को अपने अपने घर पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं उसी तरह जगह जगह फंसे हुए मजदूरों व अन्य व्यक्तियों को भी अपने घर पहुंचाने के प्रयास किए जाने चाहिए।