क्या चीनी कोरोना भारत से डर गया ?

 क्या चीनी कोरोना भारत से डर गया ?

रक्षित परमार
मो. 97834 40685

चीन के वुहान शहर से संचरित कोरोना वायरस ने आज दुनिया को एक नये संकट में लाकर खड़ा कर दिया है । समूचा विश्व वर्तमान में विज्ञान की तरफ एक बार फिर से बड़ी उम्मीदों के साथ ताक रहा है कि कब और कैसे यह वायरस नियंत्रित होगा? हम मनुष्य समूची दुनिया के प्राणीमात्र को अपनी बुद्धिमत्ता और कलाबाजियों से नचाते रहे हैं मगर आज एक छोटे से वायरस ने जिसे हम अपनी खुली आंखों से देख तक नहीं सकते, ने कोहराम मचा दिया है। आज यह उक्ति चरितार्थ साबित होती है कि, धरती के किसी भी प्राणी को कभी भी कमतर नहीं आंकना चाहिए क्योंकि कब वो विकराल रूप धारण कर ले इसका कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकते। आज उसी का उदाहरण हमारे सामने है, कोरोना से मचे कोहराम ने दुनियाभर को आज हिला कर रख दिया है। कोरोना को आरंभ में वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने बहुत हल्के में लिया, हम अभी इसका नतीजा भुगत रहे हैं।
चाइना के उस डॉक्टर की बात को जिसने चीनी सरकार को बहुत पहले सचेत कर लिया था मगर वहां की सरकार द्वारा उसे अनसुना कर दिया गया, नतीजा उसकी ही मौत नहीं बल्कि यह आंकड़ा देखते ही देखते आज हज़ारों में चला गया। चाइना का ये अनसुना रवैया दुनिया में फैली इस त्रासदी की एक बड़ी वजह माना जा रहा है। चाइना द्वारा हुबेई प्रांत के लॉकडाउन करने से एक दिन पहले ही सूचना जारी कर देना भी एक बड़ी भूल मानी जा रही है, काफी लोग सूचना मिलते ही हुबेई प्रांत (चाइना) को छोड़कर अपने -अपने देश चले गये। इस वजह से भी यह जानलेवा संक्रमण आज दुनियाभर में फैल गया। भारत में भी 2018-19 में निफा वायरस फैला था मगर समय रहते हमारे भारतीय चिकित्सकों की सतर्कता के बलबूते उसे नियंत्रित कर लिया गया। चाइना में ऐसे ही कोरोना पहले भी त्रासदी मचा चुके है मगर इस बार दुनियाभर के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में कोरोना की एक नयी स्ट्रेन ने दस्तक दी है। नोवल कोविड -2019 अपने आप में एक नये वातावरण में अनुकूलत प्रजाति है जिसे खत्म करने का उपाय वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के पास फिलहाल नहीं है।
प्रकृति ने हर प्राणी को, उनके वंशजों को किसी भी नये वातावरण में अनुकूल होने का गुण दिया है। कोरोना वायरसों को भी चिकित्सकों द्वारा दवाइयों के द्वारा नियंत्रित किया जाता रहा है, ऐसे में एक नयी प्रजाति का उत्पन्न होना कोई नई बात नहीं है क्योंकि कोई जीव या तो वो समूल नष्ट हो जायेगा या फिर वो नई प्रजाति पैदा होगी जो पहले वाले वंशों से ताकतवर होगी। दो भिन्न प्रकार के वायरसों का फ्यूजन किन -किन जातियों (वंशों) में हो जाये यह भी एक रहस्यमयी विषय है। इससे भी ज़्यादा बारीकी से अध्ययन वैज्ञानिक अवश्य करते ही है मगर वे अनुमान जता कर उस अवधारणा को बगल में रख देते हैं। निस्संदेह इस दशा में कोई नया रिसर्च नहीं हुआ नतीजतन नया कोरोना वायरस इसी नजरअंदाजी का परिणाम हो सकता है। विश्व भर में चिकित्सा के क्षेत्र में अभी भी गहन अनुसंधान की आवश्यकता है, हमारे देश को इस दिशा में अभी बहुत कुछ सीखना, बहुत कुछ करना बाकी है। हम आज भी स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी आवश्यकताओं जैसे दवाईयां और आधुनिक उपकरणों के मामले में चीन पर निर्भर हैं।
प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति कभी भारत से चीन प्रस्थान कर गई मानो चाइना ने उसे गले लगा लिया और आज हम स्वयं चीन पर निर्भर हैं। अभी हालात कुछ ऐसे बने हुए हंै कि लाख चाहकर भी चीन से कुछ भी आयात नहीं कर सकते है जबकि कोरोना के मामले भारत में भी लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। भारत सरकार की हमारी अंदरूनी प्रबंधन संबंधी मजबूरियां है कि जनता से केवल आग्रह करके हमें अनुशासित बनाये रखा जा रहा है ताकि इस रोग का संक्रमण किसी भी हाल में आगे न बढ़े और हम भी एक अच्छे नागरिक के रूप में इस फर्ज को अभी निभाये जा रहे हैं। विपक्ष को या सरकार को हमेशा दुश्मन की नजर से देखना कोई अच्छी बात नहीं है, जिन्होंने पहले देश की बागडोर संभाली हैं उन्हें भी इस प्रकार की आपातकालीन परिस्थितियों के कुछ-कुछ अनुभव है जिसे देशहित में लगाया जा सकता है। सत्तारूढ़ दलों को विपक्षी दलों से सहयोग लिया जाना चाहिए ताकि बड़े स्तर पर जनता में जागरूकता का संदेश दिया जा सके और इस संकट से मुक्ति पायी जा सके, वैसे भी हमारा अंतिम मकसद इस बीमारी को किसी भी तरह से रोकना है।
हमारा योगदान आयुर्वेद पर आधारित चिकित्सा पद्धति तक नहीं होकर उसे सतत प्रयासों के माध्यम से और आगे विस्तारित करने का समय हमारे सामने खड़ा है। एक तरफ दुनियाभर के लोगों की उम्मीद एक नये वैक्सीन की खोज की तरफ है। इस समय भारतीय चिकित्सकों के सामने भी एक बेहतरीन अवसर है, ध्यातव्य है कि निफा वायरस को जिस प्रकार नियंत्रित किया गया उस इतिहास को एक बार फिर से दोहरा कर हम भारत का नाम चिकित्सा क्षेत्र में अग्रणी देशों में ला सकते हैं। चाइना ने रोकथाम के उपायों के आधार पर कोरोना को अवश्य नियंत्रित किया है मगर अभी भी उनकी तरफ से कोई पुख्ता दावा किसी वैक्सीन के खोजने का नहीं हो सका है। वैक्सीन खोज लेने की इक्का-दुक्का खबरें पहले फीलिपींस से, बाद में चाइना से, कुछ समय बाद इजरायल और यूएस की तरफ से अवश्य आयी मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ठोस सबूत के आधार पर दुनिया को यह दिलासा नहीं दिया कि हां कोरोना को हराने का टीका हमने विकसित कर लिया है।
बहरहाल अंदाजन दस हजार से ज़्यादा मौतें इस वायरस से हो चुकी है और लगभग ढाई लाख लोग अब तक इसकी चपेट में आ चुके हैं। इस रोग से मोर्टेलिटी रेट (मृत्यु दर) शुरू के हफ्तों में कम रही मगर अचानक दुनियाभर में इसका ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ा है। वहीं चाइना का ग्राफ दुनिया के दूसरें देशों की बजाय बहुत संतुलित और नियंत्रित रहा है। इसका प्रमुख कारण रहा समय पर कोरोना प्रकोप से ग्रसित राज्यों को पूरी तरह से लॉकडाउन कर देना और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपायों पर त्वरित कार्य किया गया। वहां के प्रशासन द्वारा लोगों को अपने घरों से निकलने की बिल्कुल अनुमति नहीं दी गई। कोहराम मचाते संक्रमण के प्रवाह को हर हाल में रोककर सूझबूझ का परिचय दिया गया यह एक अच्छा प्रबंधन माना जा सकता है। भारत सरकार ने भी देशवासियों के लिए कोरोना से बचने की एक नई गाइडलाइंस जारी की है, आननफानन में आवश्यक आपातकालीन बैठकें बुलाकर देशवासियों को इस वायरल प्रकोप से बचाने के उपायों पर काम किया जा रहा है। राज्यों की सरकारों ने भी विपक्षियों के साथ -साथ सराहनीय सहयोग की भावना दिखाते हुए कोरोना से लडऩे का साहस दिखाया है।
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन काफी सख्ती से इस दिशा में सक्रिय है, देशभर में राजकीय सेवाओं में सक्रिय चिकित्सक, नर्सेज और सहयोगी स्टाफ और पुलिस प्रशासन बड़ी मुस्तैदी के साथ आज अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। जनता में भी कुछ लोग पक्ष -विपक्ष का रोना ऐसे हालातों में भी रो रहे हैं जो ठीक बात नहीं है, भारत सरकार ने जनता से, ‘जनता कफर््यूÓ का आग्रह किया है। काफी लोग इस पहल को सकारात्मक बता कर सहयोग भी कर रहे हैं और संक्रमण के प्रवाह को हर हाल में रोकने के पक्षधर हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हंै जिनके पास ‘जनता कफर््यूÓ तक सीमित न रहकर इससे भी और पुख्ता उपायों पर गौर करने के अच्छे खासे सुझाव दिये जा रहे हैं। दोनों अपनी -अपनी जगह पर अपने-अपने तर्कों के आधार पर जनमानस में चेतना कायम करने का कार्य कर रहे हैं।
बहुत सारे सामाजिक और सरकार समर्थक लोग प्रधानमंत्री के आह्वान्ह का जबरदस्त प्रचार भी रहे हैं और उनके द्वारा जनमानस के लिए दिये गये संकल्पों पर काम करने का मानस बना रहे हैं। दूसरी तरफ विरोध के स्वर भी पैदा हो रहे हैं कि प्रधानमंत्री को जनता से केवल आह्वान्ह करने की बजाय सरकार द्वारा कुछ पुख्ता इंतजाम किये जाने की पैरवी करते हैं। कुछ ऐसी बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता हमारे सामने आज एक चुनौती के रूप में खड़ी है कि अगर देश में कोरोना बड़े पैमाने पर फैल गया तो हम उसे कैसे नियंत्रित करेंगे। केंद्र और राज्यों की सरकारों को बराबर इस दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता है कि स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को लम्बे समय तक दरकिनार नहीं किया जा सकता है। आमजन से भी मेरी एक व्यक्तिगत अपील है कि कोरोना को हराने में रोकथाम के उपायों को बेहतर से बेहतरीन तरीके से लागू करें। पक्ष -विपक्ष की बहसबाजी में समय गंवाये बिना संकट की इस घड़ी में देश को एकजुट बनाये रखें। कोरोना के चलते आज मुझे नहीं लगता कोई धर्म की राजनीति कर रहा है, सभी अपना -अपना फर्ज निभा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर कुछ लोग अभी भी इस वायरस को बहुत हल्के में- बहुत मजाक में ले रहे हैं, जो कि ठीक नहीं है।
हम भारतीयों की आदतों में मास्क पहनने का कोई रिवाज भले ही न रहा हो मगर आज जहां भी नजर पड़ती है लोग मास्क पहने दिखते हैं यह एक अच्छा संकेत है। जनमानस भी आज सोशल मीडिया और टेलीविजन से काफी जागरूकता दिखा रहा है फिर भी कुछ लोग हैं जो जानकारी के अभाव में, नजरअंदाजी करते दिख रहे हैं। कुछ लोग जो अफवाहों को फैला रहे हैं, उन्हें पुलिस शीघ्रता से कठघरे में खड़ा कर रही है। भ्रामक खबरों को फैलाने की बजाय सरकार और प्रशासन द्वारा जारी किये गये दिशा निर्देशों का गंभीरतापूर्वक पालन करें। वैसे एक बात यह भी है कि जनता के पास सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत तेजी से खबरें पहुंच रही है , लोग अपनी सजगता से इसे हराकर दम लेंगे।

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

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