कोरोना को धैर्य व विश्वास से ही हरा पाएंगे

कमलेश लट्टा
प्रधान सम्पादक, मो. 89551 20679

घर आंगन और खलिहानों में होली के ढोल बजने लगे थे। सर्दी को करीब-करीब विदा कर चुके थे और होली थम्ब रोपा जा चुका था। महुआ टपकने को तैयार था। आम की बोर महक उठी थी।
तभी हवाओं में जहर की तरह एक भयानक महामारी ने हिन्दुस्तान के दरवाजे पर दस्तक दे दी। आनन-फानन में तहरीरें लिखी जाने लगी। पूर्व भविष्य वक्ताओं की भविष्यवाणियों को खंगाला जाने लगा और इस बीच महामारी के आगोश में लोग आने लगे। दहशत, डर, आशंकाएं और विश्वास से ज्यादा अविश्वास पैर फैला सामाजिक जिन्दगी को तितर-बितर करने लगा है।
पर हम भारतीय हैं जहां चरक के पन्नों पर और हमारी पुरानी जड़ी-बूटियों के पत्तों, जड़ों, डालियों और फूल में इस बीमारी का ईलाज मिल सकता है। धैर्य एवं विश्वास के साथ ही साहस से इस शत्रु को भी हम पराजित कर पाएंगें। हम आज अपनी सरकार पर गर्व कर सकते हैं कि, हमारे डॉक्टरों की पूरी फौज के साथ इस खतरनाक युद्ध को जीतने की पूरी तैयारी विश्वास के साथ की गई है।
हमें बिना डरे अपने अन्दर की ताकत को बनाए रखना है, निर्देशों का पूरा पालन करना है और यदि यह हमने किया तो यकीन जानिये हम यह लड़ाई जीत जाएंगें।
ठण्डी वस्तुओं से बचना है, विटामिन ‘सीÓ से भरपूर फलों को खाना है, पानी गरम पीना है, धूप का पूरा उपयोग करना है और कमरे को गरम रखना है।
हल्दी, तुलसी, अदरक की चाय या काढ़ा पीना उपयुक्त रहेगा। आंवला या आंवले का ज्यूस जितना हो सके प्रयोग करें। नारंगी काफी आ रही है, यह विटामिन ‘सीÓ की जरूरत पूरी करेगी। अलसी खांए, यह आपके अन्दर बीमारी से लडऩे की ताकत बढ़ाएगी। जिसकी भी तासीर गरम हो उसका उपयोग करें। मुलेठी घर में रखें और इसका भी उपयोग किया जा सकता है। कोई आयुर्वेदिक डॉक्टर से भी सलाह कर पूर्व की तैयारी रखें। सर्दी जुकाम से बचने का पूरा इन्तजाम करें।
सरकार के सारे निर्देशों की पूर्णत: पालना करना इस समय हमारा दायित्व है और इसे युद्धस्तर पर निभाएं। सरकार, डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता सब आपके हित में बात कर रहे हैं, इसे यूं ही हवा में नहीं उड़ाएं। मास्क से ज्यादा अच्छा है, सूती कपड़े को दो-तीन परतों में कर पूरा मुंह नाक पर बांधने से भी दूसरों की सांसों व खांसी से बचाव हो जाएगा। जब आप इसे बदलें तो साबुन से धोकर धूप में पूरा सुखाएं और प्रेस कर पुन: प्रयोग करें। हाथों को गांवों में चूल्हे की राख से धोना भी उतना ही असर करती है जितना बाजार में मिलने वाले अन्य दूसरे साधन। नीम्बू से हाथ धोना भी आपको पूरी तरह सुरक्षित रख सकता है। बस जरूरत है, जागरूकता की निर्देशों की ईमानदारी से पालना करने की। हम कामयाब होंगे यदि अन्दर से बिना डरे इस आपदा को हराने का सघन प्रयास करेंगे।
अन्त में एक जरूरी बात कहना चाहती हूं, यदि हम पूरी सावधानी के बाद भी चपेट में आते हैं तो अन्दर से यह विश्वास बनाएं रखें कि, ‘मैं इस बीमारी से निकल जाऊंगाÓ। हमारे अन्दर का यह विश्वास आधी बीमारी को हरा देता है, शेष डॉक्टर अपना काम कर लेते हैं।
होली फीकी रही, उसके बाद के सारे त्यौहार, व्रत उपवास पूजन भी हुआ पर वो शिद्दत नहीं थी, पर कोई बात नहीं। होली की गरम लपटों ने आपको आर्शिवाद दे दिया है, माताजी पूजन के बाद उन्होंने भी हमें आर्शिवाद दे दिया है।
बस ये लौट-लौट कर आती सर्दी तपिश में बदल जाए। पलाश के फूलों की तरह यह आग सी जल उठे तो हमारे शंकराचार्य के कथन के अनुसार-‘यह विश्व आनन्द की तरंगों पर उठती तरंगों में, आनन्द लहरी में परिणत हो जाएगा।Ó हम सब ईश्वर से प्रार्थना जरूर करें कि, हमें शक्ति देना दाता, हम इस विपदा से निकल पाएं।
सब खुश रहें, स्वस्थ रहें यही कामना है।
शुभम!

अभिषेक लट्टा - प्रभारी संपादक मो 9351821776

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